रोजों के दौरान खानपान में बरतें एहतियात

यूनानी चिकित्सा पद्धति के नुस्खे हैं फायदेमंद

वार्ता
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रोजों के दौरान चुस्त और तंदुरूस्त रहने के लिए सहरी के वक्त केला या अमरूद बिल्कुल नहीं खाना चाहिए इनके बजाय दूध, साबुत गेंहूँ की ब्रेड और आम, अनानस, अंगूर, खरबूजा या तरबूज जैसे फल लिए जाने चाहिए। हृदयरोगी, गुर्दे की पथरी के रोगी, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के शिकार लोगों को तो रमजान के दिनों में खानपान में खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है।

यह सलाह है हमदर्द, वक्फ लैबोरेटरीज के चिकित्सा बोर्ड के प्रमुख हकीम मौहम्मद तारिक की। हकीम तारिक का कहना है कि यूनानी चिकित्सा पद्धति के कुछ नुस्खे खास तौर पर रमजान के दौरान बेहद फायदेमंद साबित होते हैं जो केवल बीमार लोगों के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ लोगों को भी चुस्त और तंदुरूस्त रखने में मददगार होते हैं।

उन्होंने कहा कि रमजान का पाक महीना उपवास, त्याग और अल्लाह की इबादत करने वाले आस्थावान मुसलमानों को आत्मिक शुद्धि का अवसर देता है। इस तरह रोजा आत्मानुशासन को बढा़ता है। रोजे का मकसद सिर्फ इतना भर नहीं कि खुद को भोजन पानी से वंचित रखा जाए बल्कि यह व्यक्ति को उन तमाम कृत्यों से भी दूर रखने का संदेश देता है जो वर्जित हो।

हकीम तारिक ने कहा कि रोजे के दौरान सिर्फ दो बार भोजन करने की इजाज‍त होती है। एक सूर्योदय से पहले और दूसरे संध्याकाल में सूर्यास्त के वक्त यानी इफ्तार। रोजा रखने से शरीर में मौजूद विषाक्त तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं और फालतू चर्बी का इस्तेमाल ऊर्जा पाने के लिए हो जाता है, लेकिन कई बार लगातार उपवास के कारण गैस्ट्रिक एसिडिटी, मुँह में कड़वापन या कब्ज जैसी परेशानियाँ हो जाती हैं। इसके अलावा कई बार व्यक्ति आलस्य या थकान भी महसूस करने लगते हैं क्योंकि शरीर को इस दौरान पर्याप्त पोषक तत्व, विटामिन और कार्बोहाइड्रेट नहीं मिल पाते।

खासकर हृदय रोगियों, गुर्दे की पथरी के शिकार, उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लडप्रेशर से ग्रस्त लोगों और मधुमेह के रोगियों की तकलीफ कई बार रोजों के दौरान बढ़ जाती है, लेकिन यूनानी चिकित्सा पद्धति में खान-पान में कुछ सावधानी और संयम बरतते हुए कुछ ऐसे नुस्खे बताए गए हैं जिनसे रोजों के दौरान रोगी और साधारण व्यक्ति दोनों ही प्रकार के लोगों को अम्लता, अपच या कब्ज के कारण कोई परेशानी नहीं होती।

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हकीम तारिक कहते हैं कि सहरी में केला और अमरूद नहीं खाएँ बल्कि आम, अनानस, अंगूर, खरबूजा या तरबूज जैसे फल खाएँ। इसके साथ गेंहूँ की ब्रेड या ओट मील एक-दो कप दूध में डालकर सेवन करें। यह कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और लवण प्रदान करता है। इसके अलावा सहरी में सलाद और गेंहूँ की ब्रेड और उसके बाद एक गिलास दूध भी ले सकते हैं जिसमें 2-3 चम्मच जैतून का तेल मिला हो। फल इसके बाद खाएँ या फिर साबुत गेंहूँ की ब्रेड के दो स्लाइस, एक कप दूध, एक चौथाई कटोरा सब्जियों की सलाद खाएँ जिसमें दो चम्मच कॉर्न ऑयल और दो चम्मच सिरका डालना फायदेमंद रहेगा।

सहरी में छिला हुआ एक सेब, एक कप चाय या कॉफी में एक के बजाय दो चम्मच चीनी डाल लें। शरीर का मेटाबॉलिज्म बढा़ने के लिए 2-3 छुहारे या फिर रात को भिगोई गई खजूर एक गिलास दूध के साथ भी ले सकते हैं। इससे कब्ज और हाइपर एसिडिटी से बचा जा सकता है।

हकीम तारिक की राय में शाम को यानी इफ्तार के वक्त तक अकसर शरीर में पानी की कमी हो जाती है और एसिड और गैस की शिकायत भी काफी बढ़ जाती है। ऊर्जा भी कम हो चुकी होती है और शरीर का तापमान भी आमतौर पर गर्म और शुष्क हो चलता है। लिहाजा इस समय गरिष्ठ भोजन से बचना बेहतर होगा। हो सके तो एक गिलास ताजा फलों का रस, लस्सी या फिर नारियल पानी के साथ रोजा तोडे़। इससे शरीर का तापमान दुरूस्त होगा और दूसरे अंगों को ताकत देने के साथ ही शरीर के मेटाबॉलिज्म को भी सामान्य बनाने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा संतरे, अनार या गन्ने के ताजे रस और सूखे खजूर से भी रोजा तोडा़ जा सकता है। इनसे शरीर को ऊर्जा, लवण तथा अन्य आवश्यक पोषक तत्व मिलेंगे। सब्जियों के सूप से भी रोजा तोडा़ जा सकता है। सूप में ब्रेड के भुने टुकडे़ भी डाले जा सकते हैं। ऐसा करने या फिर किसी सेमी सॉलिड से रोजा तोड़ने पर कम से कम एक से डेढ़ घंटे तक कुछ भी खाने से बचें। इसके बाद केवल हल्का भोजन जैसे फलों के साथ लस्सी या फिर नारियल पानी जैसे तरल और हल्के पदार्थ ही लें।

रात्रि का भोजन रोजा तोड़ने के एक डेढ घंटे बाद लें जिसमें खासतौर पर ऐसा हल्का भोजन लें, जिसे कम तेल और मसालों से बनाया गया हो ताकि खाना आसानी से पच जाएँ। रात के भोजन में चिकन, मटन या फिश, साथ में मटर, हरा चना, काला चना या फलियाँ लें। मीट और फलियाँ प्रोटीन, खनिज तथा विटामिन का अच्छा स्रोत होते हैं। इस बात का खास ध्यान रखें कि हर रोज खाने में सब्जियाँ जैसे तोरी, भिंडी, लौकी, फलियाँ और बैंगन जरूर हों क्योंकि इनसे शरीर को पोषक तत्व खासकर लवण मिलते हैं जिससे मस्तिष्क और मेटाबॉलिज्म चक्र सही रहता है। सब्जियों जैसे गाजर, सलाद की पत्तियाँ, खीरा, ब्रोकली, फूल गोभी तथा हरे धनिए की सलाद भी खाई जा सकती है। ये सभी रेशे यानी फाइबर, विटामिन और एन्टीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होते हैं।

उन्होंने कहा कि रात में सोने से पहले बिना चीनी की एक गिलास लस्सी या एक कप दही लें। ये पोषक तत्व शरीर के उत्तकों के रखरखाव के लिए तथा अन्य प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक होते हैं। साथ ही इससे अगले दिन के लिए कैल्शियम की पर्याप्त खुराक भी मिलती है। खट्टे रसदार फल जैसे आम, नींबू, स्वीट लाइम, संतरा, अंगूर, अनानस आदि खाना सहरी और रोजा तोड़ने के वक्त तथा रात के भोजन के बाद अच्छा रहता है। ऐसा करने से कब्ज और गैस्टराइटिस पर काबू रहता है।

हकीम तारिक ने कहा हैं कि इन सबसे ज्यादा जरूरी भी एक बात है हर रोज कम से कम तीन से चार लीटर पानी पीना। इसलिए पानी या फलों का रस या शरबत सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच अवश्य लें। उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान ये थोडी़-बहुत एहतियात बरतने से सामान्य लोग स्वस्थ और प्रसन्नचित रह सकेंगे तथा रोगियों के मर्ज भी नहीं बढ़ेंगे।

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