19th day of Ramadan 2020 : एहसान फरामोश न बनने की सीख देता है उन्नीसवां रोजा

Webdunia
Ramadan 2020 in India

प्रस्तुति : अजहर हाशमी
 
कुरआने-पाक के पहले पारे (अध्याय-एक) की सूरह 'अलबकरह' की आयत नंबर एक सौ बावन (आयत-152) में खुद अल्लाह (ईश्वर) का इरशाद (आदेश) है-
 
'सो तुम मुझे याद किया करो, मैं तुम्हें याद किया करूंगा और मेरा अहसान मानते रहना और नाशुक्री नहीं करना।' इस आयत की रोशनी में मगफिरत (मोक्ष) के अशरे को तो समझा ही जा सकता है, साथ में उन्नीसवें रोजे की खासियत और फजीलत (महिमा) का भी बयान किया जा सकता है।
 
मगफिरत का अशरा (मोक्ष का कालखंड) अल्लाह (ईश्वर) के जिक्र पर (ईमान की पुख्तगी के साथ) जोर देता है। इसलिए उन्नीसवां रोजा अल्लाह की मुसलसल (लगातार) याद है और रोजादार के लिए दुआ की मुकम्मल (पूर्ण) फरियाद है।
 
इस आयत में अल्लाह (ईश्वर) का वादा भी तो जाहिर हो रहा है। अल्लाह का ये वादा 'सो तुम मुझे याद किया करो, मैं तुम्हें याद किया करूंगा' सिर्फ इशारा नहीं है बल्कि जाहिर कौल (प्रॉमिस) है और करार (कान्ट्रेक्ट) है। 
 
अल्लाह चूंकि रहीम है इसलिए उसने रहम फरमाया है, नरमी बरती है और फिर कहा कि 'मेरा अहसान मानते रहना और नाशुक्री नहीं करना' तो ये हुक्म तो है यानी 'आर्डर' तो है मगर इसमें भी अल्लाह ने 'फजल' (कृपा) की गारंटी पहले दिए गए कौल (तुम मुझे याद किया करो, मैं तुम्हें याद करूंगा) में दे दी है।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

किचन की ये 10 गलतियां आपको कर्ज में डुबो देगी

धन प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी के 12 पावरफुल नाम

रात में नहीं आती है नींद तो इसके हैं 3 वास्तु और 3 ज्योतिष कारण और उपाय

मोहिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानें शुभ मुहूर्त

32 प्रकार के द्वार, हर दरवाजा देता है अलग प्रभाव, जानें आपके घर का द्वार क्या कहता है

Char Dham Yatra : छोटा चार धाम की यात्रा से होती है 1 धाम की यात्रा पूर्ण, जानें बड़ा 4 धाम क्या है?

देवी मातंगी की स्तुति आरती

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

Panch Kedar Yatra: ये हैं दुनिया के पाँच सबसे ऊँचे शिव मंदिर

अगला लेख