ईद मिलादुन्नबी 2024: इस्लाम के नबी पैगंबर मोहम्मद का जन्म दिवस, जानें 15 संदेश Eid Milad Un Nabi

WD Feature Desk
सोमवार, 16 सितम्बर 2024 (10:28 IST)
Highlights 
 
* पैगंबर मोहम्मद की बातें जानें।
* आज इस्लाम के नबी मुहम्मद का जन्म दिवस।
* पैगंबर मोहम्मद के बारे में अनजानी बातें।
 
Mohammads Birthday : आज 16 सितंबर को पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्ल. का जन्मदिन है। बचपन में ही हजरत मोहम्मद को देखकर लोग कहते, यह बच्चा एक महान आदमी बनेगा। इसी तरह अंगरेज इतिहासकार टॉम्स कारलाइल ने आप सल्ल. को ईशदूतों का खास कहा है। कहा जाता हैं कि हजरत मोहम्मद संपूर्ण धर्म लाए थे।

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद-ए-मिलाद तीसरे महीने में हर साल रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है, जिस दिन इस्लाम के नबी मुहम्मद का जन्म दिवस होता है। इस पर्व के मौके पर लोग घरों और मस्जिदों में पवित्र कुरान को पढ़ते हैं। 
 
वे क्या गुण हैं जिनके कारण आपको इतना ऊंचा स्थान दिया जाता है। आइए जानते हैं पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद के बारे में-
 
हजरत मोहम्मद (सल्ल.) का जन्म छठी सदी ईसवीं में मक्का में हुआ। उस समय दुनिया भर में औरतों की स्थिति दयनीय थी। खुद अरब में नवजात बेटियों को जिंदा दफन करने की परंपरा थी। हजरत मोहम्मद जो धर्म लेकर आए थे, उसे संपूर्ण कहा गया है। संपूर्ण इस मायने में कि इसमें मानव जीवन से जुड़े हर पहलू की बाबत बताया गया है। इन पहलुओं में औरतों से संबंधित आदेश भी हैं।
 
कुरआन में इस बाबत आया है कि और (इनका हाल यह है कि) जब इनमें किसी को बेटी होने की शुभ-सूचना मिलती है, तो उसके चेहरे पर कलौंस छा जाती है और वह जी ही जी में कुढ़कर रह जाता है। जो शुभ-सूचना उसे दी गई वह ऐसी बुराई की बात हुई कि लोगों से छुपता-फिरता है, सोचता है : अपमान स्वीकार करके उसे रहने दे या उसे मिट्टी में दबा दे। क्या ही बुरा फैसला है जो ये करते हैं। (सूरः नहल : 58-59)
 
इस घृणित परंपरा को खत्म कराने का सहरा हजरत मोहम्मद के सर बंधता है। यही नहीं आपने विभिन्न अवसरों पर औरतों को उनका पूरा हक देने, उनसे अच्छा बर्ताव करने तथा पूरा खयाल रखने के बारे में हिदायतें दीं। बेटियों के बारे में वे कहते हैं वह औरत बरकत वाली है जो लड़की को पहले जन्म दे। इसी तरह आपने बेटियों को मां-बाप का दुख बांटने वाली ठहराते हुए कहा कि बेटियों को नापसंद न करो, बेशक बेटियां गमगुसार हैं और अजीज।
 
लड़का-लड़की के बीच भेदभाव को भी आपने गलत करार दिया। इस बारे में एक घटना का जिक्र करना बेहतर होगा। पैगंबर हजरत मोहम्मद के साथी हजरत अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि एक शख्स आपके पास बैठा था कि उसका बेटा आया। उसने बेटे को बोसा दिया और अपनी गोद में बिठा लिया। फिर उसकी बच्ची आई जिसे उसने अपने सामने बिठाया। रसूल ने फरमाया तुमने इन दोनों (बेटे और बेटी) के दरमियान बराबरी से काम क्यों नहीं लिया।
 
1. एक अमेरिकी ईसाई लेखक ने अपनी पुस्तक में दुनिया के 100 महापुरुषों का उल्लेख किया है। इस वैज्ञानिक लेखक माइकल एच. हार्ट ने सबसे पहला स्थान हजरत मोहम्मद (मुहम्मद सल्ल.) को दिया है। लेखक ने पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद के गुणों को स्वीकारते हुए यह लिखा है। He was the only man in history who was supremely succesful on both the religious and secular levels. आप इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं, जो उच्चतम सीमा तक सफल रहे। धार्मिक स्तर पर भी और दुनियावी स्तर पर भी।
 
2. आप सल्ल. ने सबसे पहले इंसान के मन में यह विश्वास जगाया कि सृष्टि की व्यवस्था वास्तविक रूप से जिस सिद्धांत पर कायम है, इंसान की जीवन व्यवस्था भी उसके अनुकूल हो, क्योंकि इंसान इस ब्रह्मांड का एक अंश है और अंश का कुल के विरुद्ध होना ही खराबी की जड़ है। दूसरे लफ्जों में खराबी की असल जड़ इंसान की अपने प्रभु से बगावत है।
 
3. आपने बताया कि अल्लाह पर ईमान केवल एक दार्शनिक सिद्धांत नहीं बल्कि यही वह बीज है, जो इंसान के मन की जमीन में जब बोया जाता है तो इससे पूरी जिंदगी में ईमान की बहार आ जाती है। जिस मन में ईमान है, वह यदि एक जज होगा तो ईमानदार होगा।
 
4. एक पुलिसमैन है तो कानून का रखवाला होगा, एक व्यापारी है तो ईमानदार व्यापारी होगा। सामूहिक रूप से कोई राष्ट्र खुदापरस्त होगा तो उसके नागरिक जीवन में, उसकी राजनीतिक व्यवस्था में, उसकी विदेश राजनीति, उसकी संधि और जंग में खुदा परस्ताना अखलाक व किरदार की शान होगी। यदि यह नहीं है तो फिर खुदापरस्ती का कोई अर्थ नहीं। आइए, हम देखें कि आपकी शिक्षाएं समाज के प्रति क्या हैं? 
 
5. 'जिस व्यक्ति ने खराब चीज बेची और खरीददार को उसकी खराबी नहीं बताई, उस पर ईश्वर का प्रकोप भड़कता है और फरिश्ते उस पर धिक्कार करते हैं।' 'ईमान की सर्वश्रेष्ठ हालत यह है कि तेरी दोस्ती और दुश्मनी अल्लाह के लिए हो।
 
6. 'तेरी जीभ पर ईश्वर का नाम हो और तू दूसरों के लिए वही कुछ पसंद करे, जो अपने लिए पसंद करता हो और उनके लिए वही कुछ नापसंद करे जो अपने लिए नापसंद करता हो।' 
 
7. 'ईमान वालों में सबसे कामिल ईमान उस व्यक्ति का है जिसके अखलाक सबसे अच्छे हैं और जो अपने घर वालों के साथ अच्छे व्यवहार में सबसे बड़ा है।'
 
8. 'असली मुजाहिद वह है, जो खुदा के आज्ञापालन में स्वयं अपने नफ्स (अंतरआत्मा) से लड़े और असली मुहाजिर (अल्लाह की राह में देश त्यागने वाला) वह है, जो उन कामों को छोड़ दे जिन्हें खुदा ने मना किया है।'
 
9. 'मोमिन सब कुछ हो सकता है, मगर झूठा और विश्वासघात करने वाला नहीं हो सकता।'
 
10. 'जो व्यक्ति खुद पेटभर खाए और उसके पड़ोस में उसका पड़ोसी भूखा रह जाए, वह ईमान नहीं रखता।' जिसने लोगों को दिखाने के लिए नमाज पढ़ी उसने शिर्क किया, जिसने लोगों को दिखाने के लिए रोजा रखा उसने शिर्क किया और जिसने लोगों को दिखाने के लिए खैरात की उसने शिर्क किया।'
 
11. मां के बारे में तो आप सल्ल. ने जो फरमाया वह दिखाता है कि इस्लाम ने मां को क्या मुकाम दिया है। कुछ ताज्जुब नहीं कि इस मजहब में मां को बाप से बड़ा दर्जा दिया गया है। इस बाबत एक घटना बहुत मशहूर है। एक शख्स ने आपकी खिदमत में हाजिर होकर पूछा कि या रसूलुल्लाह सबसे ज्यादा मेरे अच्छे व्यवहार का हकदार कौन है। आपने फरमाया तेरी मां। पूछा फिर कौन? फरमाया तेरी मां। उसने अर्ज किया फिर कौन। फरमाया तेरी मां। तीन दफा आपने यही जवाब दिया। चौथी दफा पूछने पर कहा- तेरा बाप। (बुखारी शरीफ, किताबुल्अदब)। औरतों और इस्लाम को लेकर आज बहस छिड़ी हुई है। हजरत मोहम्मद सल्ल. के इस जन्मदिन पर क्या यह बेहतर न होगा कि इस्लाम ने औरतों को जो अधिकार दिए हैं, उनका विस्तार से अध्ययन किया जाए तथा उनमें से अच्छे निर्देशों को अपनाया जाए। 
 
12. 'जन्नत में वह गोश्त नहीं जा सकता, जो हराम के निवालों से बना हो। हराम माल खाने से पहले पले हुए जिस्म के लिए तो आग ही ज्यादा बेहतर है।'
 
13. 'चार अवगुण ऐसे हैं कि जो यदि किसी व्यक्ति में पाए जाएं तो वह कपटाचारी- अमानत मैं विश्वासघात करे, बोले तो झूठ बोले, वादा करे तो तोड़ दे और लड़े तो शराफत की हद से गिर जाए।' 
 
14. जो व्यक्ति अपना गुस्सा निकालने की ताकत रखता है और फिर बर्दाश्त कर जाए उसके मन को खुदा ईमान से भर देता है। 
 
15. 'जानते हो कयामत के दिन खुदा के साए में सबसे पहले जगह पाने वाले कौन लोग हैं। आपके साथियों ने कहा कि अल्लाह और उसका रसूल ज्यादा जानते हैं। आपने फरमाया कि उनके समक्ष सत्य पेश किया गया तो उन्होंने मान लिया और जब भी उनसे हक मांगा गया तो उन्होंने खुले मन से दिया और दूसरों के मामले में उन्होंने वही फैसला किया, जो स्वयं अपने लिए चाहते थे।'

- मोहम्मद इब्राहीम कुरैशी 

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