वह शख्स जिस पर जकात फर्ज है उस पर फित्र वाजिब है। यह फकीरों, मिसकीनों (असहाय) या मोहताजों को देना बेहतर है। ईद का चांद देखते ही फित्र वाजिब हो जाता है।
ईद की नमाज पढ़ने से पहले इसे अदा कर देना चाहिए। अगर किसी वजह से ईद की नमाज के बाद दें तो भी हर्ज नहीं है। लेकिन कोशिश की जाए पहले दें। फित्र में क्या देना चाहिए तो हर वह चीज जो गिजा (खाद्य सामग्री) के तौर पर इस्तेमाल की जाती है।
ग ेहू ं, अनाज, खजूर आदि से भी सदका-ए-फित्र अदा हो जाता है। वैसे नकद रकम (राशि) भी दी जा सकती है। उल्मा-ए-दीनने इसकी मात्रा 1700 ग्राम के लगभग बताई है। इतना अनाज या राशि अदा करने से यह सदका अदा हो जाता है।