रमजान की तरावीह :- हजरत मोहम्मद सल्लललाहू अलैहीवसल्लम ने फरमाया- अल्लाह ने रमज़ान के रोजे़ फर्ज़ किए और तरावीह को सुन्नत किया। इससे मालूम हुआ कि तरावीह का इरशाद भी खुद अल्लाह की तरफ से है। कई हदीसों में है कि नबी करीम ने फरमाया कि मैंने इसे सुन्नत किया, इससे मुराद ताकीद है कि नबी करीम उसकी ताकीद बहुत फरमाते थे।
बहुत से लोगों का ख्याल होता है कि जल्दी से किसी मस्जिद में 8-10 दिन में कलाम मजीद सुन लें, फिर छुट्टी। यह ध्यान रखने की बात है कि तरावीह में दो सुन्नतें अलग-अलग हैं। एक सुन्नत कुरान शरीफ का सुनना और दूसरी तरावीह का पढ़ना।
अगर कोई 8-10 दिन की तरावीह पढ़कर सोचे कि पूरा सवाब मिल गया तो ऐसा नहीं। कुरान शरीफ तो सुन लिया लेकिन बचे 20 दिन की तरावीह की सुन्नत छूट गई। लेकिन जिनको रमज़ान के महीने में सफर (यात्रा) करना हो वो 8-10 दिन की तरावीह पढ़ सकता है।
जिससे एक ही जगह पूरा कुरान श्ारीफ सुन लेगा और सफर में दूसरी जगह अगर कुरान आगे-पीछे भी निकल चुका हो तो तरावीह में शामिल हो सकता है।