Apara Ekadashi 2020: जब राजा को प्रेत योनि से दिलाई थी मुक्ति, पढ़ें पौराणिक कथा एवं पूजन मुहूर्त

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Apara Ekadashi 2020 Katha
 
अपरा एकादशी 2020- ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा/अचला एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, भद्रकाली तथा अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके 5वें अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है। आइए जानें एकादशी की व्रत की पौराणिक कथा- 
 
अपरा/अचला एकादशी की प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। 
 
इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। 
 
ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। 
 
वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया। अत: अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
 
अपरा एकादशी 2020 का मुहूर्त
 
17 मई 2020 को 12:44 मिनट से एकादशी तिथि का प्रारंभ होगा, जोकि 18 मई 2020 को 15:08 मिनट तक जारी रहेगा एवं एकादशी तिथि की समाप्ति 15:08 पर होगी। पारणा का मुहूर्त- 19 मई 2020 को प्रातः 05:27 से 08:11 मिनट तक रहेगा। 

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