Apara Ekadashi 2024: अपरा एकादशी पर पढ़ें यह खास कथा, जानें पूजा विधि भी

WD Feature Desk
गुरुवार, 30 मई 2024 (16:59 IST)
Highlights : 
 
• अपरा एकादशी की कथा जानें।  
• अपरा एकादशी पूजन कैसे करें।  
• अपरा एकादशी कब हैं। 

ALSO READ: Apara ekadashi : अपरा एकादशी व्रत रखने का क्या है महत्व?
 
Apara Ekadashi 2024 : वर्ष 2024 में अपरा एकादशी व्रत 2 तथा 3 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के 5वें अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है। मान्यतानुसार अपरा एकादशी की कथा को पढ़ने से सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है तथा सभी पापों से मुक्ति मिलती हैं। यहां पढ़ें पौराणिक व्रत कथा : 
 
इस वरक की कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। 
 
उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। एक दिन अचानक धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजरे। 
 
उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ऋषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ऋषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। 
 
इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया। 
 
अत: अपरा एकादशी की कथा पढ़ने अथवा सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है। अपरा एकादशी व्रत से मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति होकर समस्त पापों से मुक्ति मिलती है तथा धन संपत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह कथा पढ़ने से मनुष्य का सोया भाग्य जाग जाता है। 

ALSO READ: Apara Ekadashi Paran : अपरा एकादशी का पारण कब होगा, कैसे खोलें व्रत
 
पूजा विधि : Puja Vidhi 
 
- अपरा एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र पहनें और एकादशी व्रत का संकल्‍प करें। 
 
- तत्पश्चात पूजन से पहले घर के मंदिर में एक वेदी बनाए उस पर सात तरह के धान यानी उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें। 
 
- उस वेदी पर कलश की स्‍थापना करें, उस पर आम के या अशोक वृक्ष के 5 पत्ते लगाएं। 
 
- अब भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें और भगवान विष्‍णु को पीले पुष्प, ऋतु फल और तुलसी दल चढ़ाएं। 
 
- फिर धूप-दीप से आरती करें। 
 
- मंत्र - ॐ विष्णवे नम: का जाप करें।  
 
- शाम को भगवान विष्‍णु की आरती करके फलाहार ग्रहण करें। 
 
- रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें। 
 
-  अगले दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन कराएं।  इच्छानुसार दान-दक्षिणा दें। 
 
- तत्पश्चात व्रत का पारण करें।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। वेबदुनिया इसकी पुष्टि नहीं करता है। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ALSO READ: Apara ekadashi 2024: अपरा एकादशी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

विवाह में आ रही अड़चन, तो आज ही धारण करें ये शुभ रत्न, चट मंगनी पट ब्याह के बनेंगे योग

अगला लेख