Jaya Ekadashi 2025: माघ मास की जया एकादशी पर जानें पूजन के शुभ मुहूर्त, विधि और पारण टाइम

WD Feature Desk
शनिवार, 8 फ़रवरी 2025 (10:17 IST)
Jaya Ekadashi 2025 : जया एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसे अजा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। जया/ अजा एकादशी व्रत करने से जीवन की हर तरह की परेशानियों से मुक्ति तथा जाने-अनजाने में हुए सभी पाप खत्म हो जाते हैं। यह एकादशी व्रत मोक्ष मिलता है तथा दोबारा मनुष्य जन्म नहीं लेना पड़ता। अत: इसे अजा एकादशी भी कहा जाता है। ALSO READ: जया और विजया एकादशी में क्या है अंतर?
 
यहां जानिए जया अजा एकादशी के शुभ मुहूर्त और पूजन की विधि... 
 
जया एकादशी का महत्व: भगवान विष्णु को समर्पित: यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, जो सृष्टि के पालनहार हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और खुशहाली आती है। इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही व्यक्ति के अनेक पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ गरीब लोगों को गर्म कपड़े, तिल और अन्न का दान करने से कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है। स्कंदपुराण के अनुसार जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन, व्रत और उपवास रखकर तिल का दान और तुलसी पूजा का विशेष महत्व है।ALSO READ: 2025 में कब है जया (अजा) एकादशी व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और नियम
 
जया अजा एकादशी पूजा विधि : jaya ekadashi 2025 vrat date puja vidh
 
- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके श्री विष्‍णु का ध्‍यान करें। 
- तत्पश्चात व्रत का संकल्‍प लें। 
- अब घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करें। 
- एक तांबे के लोटे में गंगा जल लेकर जल की कुछ बूंदें लेकर चारों ओर छिड़कें।
- फिर लोटे के जल में काले तिल और रोली मिलाएं और श्रीहरि का पूजन करें।
- अब भगवान विष्‍णु को धूप, दीप दिखाकर उन्‍हें पुष्‍प अर्पित करें।
- अब एकादशी की कथा का पाठ पढ़ें अथवा श्रवण करें। 
- शुद्ध घी का दीया जलाकर विष्‍णु जी की आरती करें।
- श्री विष्णु के मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा जाप करें। 
- तत्पश्चात श्रीहरि विष्‍णु जी को तुलसी दल और तिल का भोग लगाएं। 
- विष्‍णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- शाम के समय भगवान विष्‍णु जी की पूजा करके फलाहार करें।
- श्री हरि विष्णु के भजन करते हुए रात्रि जागरण करें।
- अगले दिन यानि द्वादशी तिथि पर ब्राह्मण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। 
- इसके बाद स्‍वयं भी भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें। 
 
फरवरी 8, 2025, शनिवार : दिल्ली टाइम अनुसार जया एकादशी पर पूजा और मुहूर्त का समय : jaya ekadashi muhurat
 
माघ, शुक्ल एकादशी का प्रारम्भ- फरवरी 07, 2025, शुक्रवार को रात 09 बजकर 26 मिनट पर, 
जया/ अजा एकादशी का समापन- फरवरी 08, 2025, शनिवार को रात 08 बजकर 15 मिनट पर।
 
जया एकादशी व्रत तोड़ने / पारण का समय :  jaya ekadashi Paran time 
 
9 फरवरी 2025 को सुबह 07 बजकर 04 मिनट से से 09 बजकर 17 मिनट तक। 
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- शाम 07 बजकर 25 मिनट पर। 
 
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