जया और विजया एकादशी में क्या है अंतर?

WD Feature Desk
सोमवार, 27 जनवरी 2025 (16:40 IST)
Ekadashi puja 2025: धार्मिक मान्यतानुसार जया और विजया एकादशी दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनका व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ये दोनों एकादशियां मिलकर एकादशी के धार्मिक महत्व को और बढ़ा देती हैं। इस वर्ष जया एकादशी तारीख फरवरी 8, 2025, शनिवार को माघ शुक्ल एकादशी को मनाई जा रही है तथा विजया एकादशी फरवरी 24, 2025, सोमवार, फाल्गुन कृष्ण एकादशी के दिन पड़ रही है।ALSO READ: Weekly Horoscope: कैसा बीतेगा आपका नया सप्ताह, जानें एक क्लिक पर साप्ताहिक राशिफल (27 जनवरी से 02 फरवरी)
 
जया और विजया एकादशी, दोनों ही हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और भगवान विष्णु को समर्पित हैं। ये दोनों एकादशियां लगातार आती हैं और इनका धार्मिक महत्व भी काफी अधिक है। हालांकि, इन दोनों एकादशियों में कुछ अंतर भी हैं।
 
जया एकादशी
- जया एकादशी माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है।
- जया एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मान्यतानुसार इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
 
विजया एकादशी
- विजया एकादशी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ती है।
- विजया एकादशी का व्रत करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सफलता और हर क्षेत्र में विजय मिलती है।
- इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ शंख-चक्र का भी पूजन किया जाता है। अत: विजया एकादशी की अधिक विशेषताएं भी हैं।
 
जया और विजया एकादशी में अंतर : यह एकादशी पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में दूसरी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष पड़ती है। जया एकादशी के महत्व के अनुसार यह पाप मोचन और मोक्ष की प्राप्ति मान्यता प्राप्त है तथा इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है तथा विजया एकादशी विघ्न दूर करने और चारों दिशाओं में सफलता प्राप्त करने हेतु अधिक महत्वपूर्ण है तथा इस दिन भगवान विष्णु नारायण और शंखचक्र का पूजन करना विशेष महत्व रखता है।ALSO READ: क्या हैं महामंडलेश्वर बनने के नियम और योग्यता, किस परीक्षा से गुजरने के बाद मिलता है ये पद?
 
व्रत करने की विधि
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
भगवान विष्णु की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
पूरे दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखें।
रात्रि जागरण: रात को जागरण करें और भगवान का ध्यान करें।
इस दिन जरूरतमंदों को दान करें।
 
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