पर्यावरण के लिए मैं क्या कर सकता हूं...

Webdunia
1. प्रकृति संरक्षण का अर्थ है स्वयं का भी संरक्षण। प्रकृति से ही तो हम हैं।  प्रकृति संरक्षण के सुझावों में मेरा पहला सुझाव है जिसमें हमें प्रकृति पर नहीं स्वयं पर ध्यान देना है और असर प्रकृति पर होगा। जब हमारे घर से दूध, फल, दवाइयां आदि वस्तुएं लाने का हुक्म मिलता है तो हम हमारी गाड़ी को लेकर निकल पड़ते हैं या आसपास अगर चक्कर भी लगाने जाना होता है, तो हम हमारे रथ पर सवार होकर निकल पड़ते हैं, पर यदि हम ऐसी नजदीक जगहों पर पैदल या साइकिल से जाने का उपयोग करें तो प्रकृति के साथ हमारा भी संरक्षण होगा। अब तो पेट्रोल भी महंगा हो गया है तो वह भी कम जलेगा, जिससे प्रदूषण भी कम होगा एवं पैदल और साइकिल चलाने से आपके घुटने भी लांग लास्टिंग रहेंगे।
 
- दूसरा सुझाव है कि हम उपहारों में ज्यादातर ऐसी वस्तुएं देते हैं जो उसी समय समाप्त हो जाती है या घर के कोने में या दीवारों पर जगह बना कर हमसे धूल साफ करने की सेवा करवाती है। इनकी जगह यदि हम उपहारों में पौधे देने की मुहिम चलाएं तो यह समाज और प्रकृति सुधारक कदम होगा, साथ ही हम घरेलू हरियाली भी बढ़ा पाएंगे। अनेक राजनेता स्मृति चिह्न के रूप में पौधारोपण करते हैं, तो हम भी स्मृति चिह्न के रूप में किसी को एक छोटा पौधा तो दे ही सकते हैं।
 
- अथर्व पंवार

2. इस खुशनुमा संसार में प्रत्येक प्राणी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य भी है और आवश्यकता भी। पशु क्रूरता निर्दयता की चरम सीमा है, 'जीवन चक्र की प्रक्रिया' के नाम पर बेजुबान-निसहाय पर अत्याचार केवल स्वांतः सुखाय है जबकि हमारी संस्कृति बहुजन हिताय बहुजन सुखाय दर्शाती है...।
 
- प्रकृति ऐसी अद्भुत संरचना है जिसका विकल्प मिलना असंभव है। जीवन में प्रत्येक वस्तु-भाव की उत्पत्ति केवल प्राकृतिक संसाधनों की सहायता से हुई है। अब यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रकृति को पुनः समुद्र में बूंदों के भांति पुनर्जीवित ओर स्थापित किया जाए... ।
 
- भावेश अग्रवाल

3. प्राकृतिक संसाधनों का असीमित दोहन आने वाली पीढ़ी के लिए चिंता का विषय है, वर्तमान समय में रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर इन्हें बचाया जा सकता है, पेपर, लिफाफे आदि को रीसाइक्लिंग के द्वारा दोबारा उपयोग किया जा सकता है जिससे वृक्षों को कटने से बचाया जा सकता है। 
 
- रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक ने मृदा, वायु, और जल को दूषित किया है, जिसका प्रभाव मानव पर भी दिखाई देता है, इसकी जगह पर घरेलू तरीके से बने खाद और कीटनाशक का उपयोग करके पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
 
- दिव्या अग्निहोत्री

4. जिसके साथ प्रकृति होती है वह अभिजीत हो जाता है और जिसके विरुद्ध होती है उसका सर्वनाश सूखे पत्तों की भांति हो जाता है। जब-जब मनुष्य के अति कर्मों से प्रकृति भंग हुई है तब-तब किसी ना किसी महामारी के रूप मे उसने अपने आप को पुनः संवारा हैं और संदेश दिया है कि मेरे बिना सब अधूरे है। और प्रकृति से जो भी आप लेते हो उसे पुनः लौटाना पड़ता हैं किसी ना किसी रूप में, नहीं तो प्रकृति स्वयं लेना भी जानती हैं। 
 
इसलिए हमने जितना हो सके पर्यावरण को स्वच्छ, समृद्ध, संतुलित बनाए रखना है और अपनी लालसा को नकारते हुए एक ऐसी कड़ी बनानी है जो एक-दूसरे का वजन ढ़ो सकें, क्योंकि सारे जीव एक-दूसरे पर निर्भर हैं और अगर ऐसा करने में असमर्थ रहे तो परिणाम सबके समक्ष है।
 
- मोहित अग्रवाल

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख