अमेरिका क्‍यों खरीद रहा आयोडायिन की गोलियां, क्‍या दुनिया पर मंडरा रहा है परमाणु हमले का खतरा?

Webdunia
बुधवार, 12 अक्टूबर 2022 (00:05 IST)
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जारी है। इस युद्ध के बीच सबसे ज्‍यादा चर्चा आयोडिन की गोलियों की है। जी, हां छोटी-छोटी आयोडायिन की गोलियों की। दरअसल, रूस कई बार यह धमकी दे चुका है कि वह परमाणु हमला यानी Atomic Attack कर देगा। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया लगातार परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है। ऐसे में दुनिया पर परणामु हमले का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में अमेरिका आयोडायिन की गोलियां खोज रहा है। बता दें कि परमाणु हमले के बाद सबसे ज्‍यादा जिस बात का खतरा होता है वो है उससे होने वाला न्‍युक्‍लिर रेडिएशन।

दरअसल, आयोडायिन की गोलियां न सिर्फ रैडिएशन से बल्‍कि यह भी कहा जाता है कि केमिकल अटैक, बायोलॉजिकल अटैक और रेडियोलॉजिकल हमलों से भी बचा सकती हैं। ऐसे में अमेरिका इस दवा को लेकर गंभीर है, क्‍योंकि परमाणु हमले का सबसे ज्‍यादा खतरा अमेरिका पर ही है। इस संदर्भ में जो बाइडन सरकार ने पिछले 2 अक्टूबर को बयान दिया था कि वह 2,389 करोड़ रुपए खर्च करके आयोडीन की ये गोलियां खरीदने की योजना बना रहा है।

अमेरिका क्‍यों खरीद रहा आयोडायिन?
अमेरिका ने रेडिएशन के इसी खतरे से बचाने में पोटैशियम आयोडायिन का इस्‍तेमाल होता है, ऐसे में इस दवा की इन दिनों सबसे ज्‍यादा चर्चा है। रिपोर्ट के मुताबिक कई देशों में पोटैशियम आयोडायिन की गोलियां की खरीदी की जा रही है। लेकिन सबसे ज्‍यादा इसकी चर्चा अमेरिका में है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने पोटैशियम आयोडायिन की गोलियां खरीदने के लिए करीब 2 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किए हैं।

कौन कौन से देश खरीद रहे?
यूक्रेन का पडोसी देश पोलैंड में भी आयोडीन की दवाएं बांटी गई हैं। पोलैंड के सभी राज्यों में सेंटर बनाए गए हैं। देश की कुल 34 लाख आबादी के लिए पोलैंड सरकार ने 55 लाख गोलियां भेजी हैं। इसके अलावा ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन भी आयोडीन की गोलियां जमकर खरीद रहे हैं। यूक्रेन में 55 लाख गोलियां भेजी गई हैं।

क्‍या है पोटैशियम आयोडाइड?
पोटैशियम आयोडाइड को आयोडीन की दवा भी कहा जाता है। परमाणु बम के धमाके के बाद रेडियोऐक्टिव तत्व I-131 तैरने लगता है। यह सांस की मदद से इंसान के शरीर में घुस जाता है। इसकी वजह से थायरॉइड कैंसर, ल्यूकीमिया, मेंटल डिसऑर्डर और गले और शरीर के दूसरे हिस्सों में ट्यूमर जैसी बीमारियां हो जाती है। ऐसे में दावा किया जाता है कि ये दवा ऐसी तकलीफों से बचा सकती है। यह पोटैशियम और आयोडाइड को मिलाकर बनाई जाती है।

कितने तरह का होता है आयोडिन?
मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक आयोडीन कई तरह के होते हैं, लेकिन अगर इनकी संख्‍या की बात करें तो यह 37 तरह का होता है। लेकिन इसमें से आयोडीन-127 ही एक ऐसी दवा है जो इंसान को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाती है। जबकि परमाणु बम से निकलने वाले I-131 का रेडिएशन इतना खतरनाक होता है कि वो इंसान की कई पीढ़ियों को प्रभावित कर सकती है।

रैडिएशन से कैसे बचाएगा आयोडीन?
अब ऐसे में सवाल है कि परमाणु जैसे खतरे से ये मामुली गोलियां कैसे बचा लेगी। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक पोटैशियम आयोडाइड में ऐसा आयोडीन होता है जो रेडियोऐक्टिव नहीं होता है। अगर कोई इसे खा लेता है तो शरीर में आयोडीन की मात्रा कम घुसती है। परमाणु हमले के दौरान शरीर में जाने वाले आयोडीन-131 को यह खत्म कर सकता है, ऐसा दावा किया जाता है।

क्‍या है इसका इतिहास?
साल 1986 में यूक्रेन के चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में विस्फोट के समय इसका इस्तेमाल किया गया था। तब इस दवा का इस्तेमाल करके सैकड़ों लोगों की जान बचाई गई थी। साल 2011 में जापान में जब भूकंप और सुनामी की वजह से फुकुशिमा परमाणु प्लांट को नुकसान पहुंचा तब जापान ने भी ये दवाएं इस्‍तेमाल की गई थी।
Written & Edited: By Navin Rangiyal

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