ओमप्रकाश चौटाला : प्रोफाइल

Webdunia
गुरुवार, 24 जनवरी 2013 (01:20 IST)
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ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और फिलहाल राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे इंडियन नेशनल लोकदल नामक राजनीतिक दल के नेता हैं। उनका जन्म 1 जनवरी, 1935 को सिरसा, हरियाणा के एक छोटे से गांव में हुआ था। 78 वर्षीय ओमप्रकाश चौटाला की शिक्षा-दीक्षा उनके गृहनगर में ही हुई। पूर्व उपमुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के पुत्र, ओमप्रकाश चौटाला युवावस्था से ही राजनीति में रुचि रखते थे।

वे सिहाग गौत्र के जाट परिवार में पैदा हुए। चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे राजग और संप्रग दोनों के ही गठबंधनों में शामिल रहे हैं, लेकिन वे कांग्रेस और भाजपा को सांपनाथ और नागनाथ कहते हैं।

जब चौधरी देवीलाल ने हरियाणा संघर्ष समिति के संरक्षण में न्याय युद्ध चलाया, तब ओमप्रकाश चौटाला ने न्याय युद्ध के प्रबंध और आयोजन की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया था। चौधरी देवीलाल की इस यात्रा का उद्देश्य हरियाणा के लोगों को न्याय दिलवाना और उनकी आवाज सरकार तक पहुँचाना था। बाद में, राज्य में भ्रष्टाचार को समाप्त करने और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा बचाओ रैली कर चुके हैं।

ओमप्रकाश चौटाला पांच बार (1970, 1990, 1993, 1996 और 2000) हरियाणा विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 1989 में चौटाला पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद वे 1990, 1991 और 1999 में भी मुख्यमंत्री बने। 1999 में ओमप्रकाश चौटाला नरवाना और रोरी दोनों निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे। इन दोनों विकल्पों में से चौटाला ने नरवाना निर्वाचन क्षेत्र को अपने लिए बेहतर समझा।

वे वर्ष 1987-1990 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 24 मई, 1996 को वे विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए। 1999 में ओमप्रकाश चौटाला भारतीय राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान वे हरियाणा राज्य की जनता दल इकाई और राष्ट्रीय समाजवादी जनता पार्टी के महासचिव भी रहे। ओमप्रकाश चौटाला अखिल भारतीय लोकदल के किसान कामगार सेल के अध्यक्ष भी रहे।

बहुचर्चित रुचिका हत्याकांड के आरोपी पुलिस महानिदेशक को बरी करवाने की कोशिश के कारण ओमप्रकाश चौटाला को कई आरोपों का सामना करना पड़ा।

1995 में ओमप्रकाश चौटाला ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी निकाल पाने और स्थानीय लोगों के पुनर्वास को लेकर तत्कालीन सरकार का विरोध किया। विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने स्थानीय नागरिकों के हितों को लेकर सरकारी नीतियों का पुरजोर विरोध किया। इस विरोध ने उन्हें जनता में और अधिक लोकप्रिय बना दिया था।

फिलहाल वे राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, लेकिन राज्य के अध्यापक भर्ती घोटाले में उन्हें सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बड़े बेटे अजयसिंह चौटाला के साथ दस-दस वर्ष की सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि पिता और पुत्र दोनों ही हरियाणा विधानसभा के सदस्य हैं।

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