मनमोहन सिंह : प्रोफाइल

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मनमोहन सिंह भारत के तेरहवें और वर्तमान प्रधान मंत्री हैं। एक ‍प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सिंह के साथ यह गौरव भी जुड़ा है कि वे जवाहर लाल नेहरू के बाद एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने लगातार दो बार पद पर रहने का सम्मान पाया है। साथ ही, वे देश के पहले सिख हैं जो कि प्रधानमंत्री बने हैं।

मनमोहन सिंह ( manmohan singh) का जन्म अब पाकिस्तानी पंजाब के गांव गाह में 24 सितम्बर, 1932 को हुआ था। 1947 के विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया था। ऑक्सफोर्ड में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट हासिल करने के बाद उन्होंने 2-3 वर्ष संयुक्त राष्ट्र में काम किया।

बाद में, वे तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा के सम्पर्क में आए और उनके सलाहकार बन गए। 70 और 80 के दशक में सिंह भारत सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इस अवधि में वे मुख्य आर्थिक सलाहकार, रिजर्व बैंक के गवर्नर और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।

वर्ष 1991 में भारी आर्थिक संकट के दौर में तत्कालीन प्रधान मंत्री पीवी नरसिंह राव ने गैर- राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले सिंह को देश का वित्त मंत्री बना दिया। कुछेक वर्षों तक उनका विरोध हुआ लेकिन सिंह ने कई तरह के संस्थागत सुधार कर देश की अर्थव्यवस्‍था को उदारीकृत बनाया। उनके उपायों से देश के सामने संकट खत्म हो गया और श्री सिंह की सुधारवादी वित्त मंत्री के तौर पर ख्याति चारों ओर फैल गई। 1996 के चुनावों में कांग्रेस हार गई और अटल बिहारी सरकार (1998-2004) के शासन के दौरान वे राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

2004 में जब कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई तो सोनिया गांधी ने आश्चर्यजनक तरीके से उन्हें प्रधानमंत्री मनोनीत कर दिया। सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए प्रथम सरकार ने बहुत सारी महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू कीं। इस अवधि में अर्थव्यवस्था ठीक हुई, लेकिन मुंबई हमलों समेत कई आतंकवादी हमले हुए और माओवादियों की हिंसा बढ़ी। 2009 में हुए चुनावों में फिर से कांग्रेस सत्ता में आई और सिंह प्रधानमंत्री बने रहे।

मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित पंजाब के गाह गांव में सरदार गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर हुआ था। जब वे बहुत छोटे थे तभी उनकी मां का निधन हो गया था। बाद में, उनके दादा-दादी ने उनका पालन पोषण किया और वे उनके करीब रहे।

विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर आ गया जहां के हिंदू कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की। इसके बाद पंजाव यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियां लीं। बाद में, कई वर्ष ब्रिटेन में रहकर कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से भी अर्थशास्त्र की पढ़ाई की।

ऑक्सफोर्ड से डॉक्टरेट लेने के बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में तीन वर्ष तक काम किया। पर 70 के दशक में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने के साथ-साथ विदेशी व्यापार मंत्रालय के सलाहकार के तौर पर काम किया। तब इस विभाग के केन्द्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा ने उनकी योग्यता को पहचाना और उन्हें अपना सलाहकार बनाया था।

वर्ष 1982 में उन्हें रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाया गया और बाद में वे योजना आयोग से जुड़े।1990 में यहां काम करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने उन्हें अपना वित्त मंत्री बनाया।

तब भारत की अर्थव्यवस्था बहुत ही खस्ताहाल थी और सिंह ने इसे सुधारा। राव और सिंह ने अर्थव्यवस्था के लाइसेंस, कोटा राज को खत्म कर दिया और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाया और सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों का निजीकरण शुरू किया। हालांकि चुनावों में कांग्रेस सरकार हार गई, लेकिन सिंह के काम को सराहते हुए लम्बे समय से मंत्री रहे पी. चिदम्बरम ने उन्हें भारत का देंग शियाओ पिंग बताया।

1993 में उन्होंने सिक्युरिटीज घोटाले के बाद वित्तमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की लेकिन श्रीराव ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। वे 1991 में असम से राज्यसभा के सदस्य बने और उन्होंने 1996 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गए। पर वे राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष बने रहे।

14 वीं लोकसभा के आम चुनावों में कांग्रेस जीती और कांग्रेस के नेतृत्व में बने यूपीए गठबंधन की कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। 22 मई, 2004 को वे पहली बार प्रधानमंत्री बने।

अपने पहले कार्यकाल में सिंह ने अर्थव्यवस्था को उदारीकृत करने का काम किया और देश के तीव्र विकास के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी. चि‍दम्बरम के साथ मिलकर भारतीय बाजार को विकसित करने के उपाय किए। वे बैंकिंग और वित्तीय सेक्टरों को सुधारना चाहते हैं। साथ ही, वे चाहते हैं कि किसानों को कर्ज से मुक्ति मिले और बुनियादी संरचना के क्षेत्र में तीव्र और बड़े पैमाने कर विकास हों।

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य रक्षण और शिक्षा के प्रसार के लिए कई कार्यक्रम चला रहे हैं। आठ नए आईआईटी (ज) की स्थापना, सर्व शिक्षा अभियान, मध्यान्ह भोजन योजना, एनआईए की स्थापना, यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंड‍िया का गठन जैसे कई अन्य उपाय हैं जिन्हें विभिन्न उद्‍देश्यों के लिए देश में चलाया जा रहा है।

सरकार ने नरेगा को चलाया और आरटीआई जैसे कानून भी बनाए हैं हालांकि उनकी सरकार की यह कहकर भी आलोचना की गई कि यूपीए दो के कार्यक्राल में केन्द्र नीतिगत मामलों को लेकर लकवाग्रस्त साबित हो रही है और कोई निर्णय नहीं ले पा रही है। इसी तरह ज्यादातर लोग मानते हैं कि निजी तौर पर सिंह ईमानदार हैं, लेकिन उनकी सरकार के मंत्री घोटालों में फंसे हुए हैं।

जहां तक प्रधानमंत्री के निजी जीवन का प्रश्न है तो 1058 में उनका गुरशरण कौर से विवाह हुआ था। उनकी तीन बेटियां हैं जिनके नाम क्रमश: उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह हैं। उपिंदर दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं और वे छह पुस्तकें लिख चुकी हैं। दमन सिंह एक लेखिका और उपन्यासकार हैं। वे आईपीएस, अशोक पटनायक से विवाहित हैं। तीसरी बेटी अमृत सिंह अमेरिकी सिविल लिबर्टीज यूनियन की स्टाफ वकील हैं।

सिंह की कई बार कार्डियक बाइ पास सर्जरीज की जा चुकी हैं। मनमोहन और गुरशरण दोनों ही कोहली खानदान से हैं, लेकिन दोनों में से किसी ने इसे अपना उपनाम नहीं बनाया। मनमोहन के पास करोड़ों की सम्पत्ति है।

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