Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

किसान संगठन बोले- सरकार के साथ बातचीत को तैयार, पर 'प्रेम पत्रों' की बजाय भेजे ठोस प्रस्ताव

Advertiesment
हमें फॉलो करें Kisanagitation
, गुरुवार, 24 दिसंबर 2020 (00:35 IST)
नई दिल्ली। प्रदर्शनकारी किसान संघों ने गेंद सरकार के पाले में होने की जिक्र करते हुए बुधवार को उससे कहा कि वह बातचीत फिर से शुरू करने के लिए नया ठोस प्रस्ताव लेकर आए, वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि समाधान तक पहुंचने का संवाद ही एक मात्र रास्ता है और सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच गतिरोध खत्म होने की कोई संभावना नजर नहीं आने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 6 राज्यों के किसानों के साथ बातचीत करेंगे और इस दौरान किसान केंद्र द्वारा की गई विभिन्न पहलों को लेकर अपने अनुभव साझा करेंगे।
कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को खारिज कर चुके किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें केंद्र के खुले दिल से वार्ता के लिए आगे आने का इंतजार है और अगर सरकार एक कदम आगे बढ़ाएगी तो किसान दो कदम बढ़ेंगे। 
 
बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती और किसान दिवस था तथा कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना जैसे विपक्षी दलों और वाम दलों ने इस मौके पर सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि सरकार की रुचि सिर्फ कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने में है जबकि किसान सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हैं। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा किसानों को गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है जबकि सत्ता में रहते हुए उन दलों ने उनका शोषण किया।
 
सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और उम्मीद व्यक्त की कि किसान संघ अपना प्रदर्शन वापस ले लेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चरण सिंह से प्रेरणा लेते हुए किसानों के हित में अनेक कदम उठाए हैं। किसानों का वह किसी सूरत में अहित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि कृषि क़ानूनों को लेकर कुछ किसान आंदोलनरत हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है। मैं आशा करता हूँ कि वे जल्द ही अपने आंदोलन को वापस ले लेंगे।
उत्तरप्रदेश के संभल में कृषि कानूनों पर सरकार के हृदय परिवर्तन के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया तो वहीं भारतीय किसान संघ (लोक शक्ति) के प्रमुख श्योराज सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को कथित तौर पर अपने खून से पत्र लिखा। कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के समर्थन में विभिन्न संगठन और कार्यकर्ता भी आगे आ रहे हैं। सरकार के बातचीत के प्रस्ताव पर जवाब को एक संवाददाता सम्मेलन में पढ़ते हुए किसान नेताओं ने कहा कि वे बातचीत के लिए खुले दिल से तैयार हैं लेकिन सरकार नए कृषि कानूनों में "निरर्थक" संशोधन करने की बात को नहीं दोहराए जिसे वे पहले ही खारिज कर चुके हैं।
 
स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार को प्रेम पत्र लिखना छोड़कर बातचीत के लिए लिखित में एक ठोस प्रस्ताव लेकर आना चाहिए। संघ के नेताओं की तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चली बैठक के बाद किसान नेता शिव कुमार कक्का ने संवाददाताओं से कहा कि कि सरकार को अपना अड़ियल रुख छोड़कर बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए। कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को भेजे पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ अपने राजनीतिक विरोधियों जैसा बर्ताव कर रही है।
मोर्चा के सदस्य यादव ने कहा कि किसान संघ सरकार के साथ बातचीत करने को तैयार हैं और सरकार के बातचीत की मेज़ पर खुले दिमाग से आने का इंतज़ार कर रहे हैं। केंद्र के 20 दिसंबर के पत्र के भेजे गए जवाब को बढ़ते हुए यादव ने कहा कि हम आपसे (सरकार से) अनुरोध करते हैं कि उन निर्रथक संशोधनों को न दोहराएं जिन्हें हम खारिज कर चुके हैं बल्कि बातचीत के लिए लिखित में ठोस प्रस्ताव लेकर आएं जो वार्ता का नया एजेंडा बन सकें। यादव ने आरोप लगाया कि सरकार यह जताना चाहती है कि किसान बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं। 
webdunia
केंद्र के साथ नौ दिसंबर को प्रस्तावित किसानों की छठे दौर की वार्ता किसानों के केंद्रीय कानूनों को निरस्त करने की मांग से पीछे नहीं हटने के कारण रद्द हो गई थी। कई किसान चौधरी चरण सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करने बुधवार को यहां किसान घाट भी पहुंचे। किसान दिवस पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने लोगों से एकजुटता दिखाने के लिए एक वक्त का खाना छोड़ने का अनुरोध किया था। इससे पहले दिन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्रों में सुधार जारी रखेगी क्योंकि वह उसे मजबूत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
ALSO READ: सिंधु बॉर्डर पर किसानों की बैठक शुरू, आज होगा फैसला वार्ता करेंगे या नहीं
उन्होंने कहा कि इतिहास इसकी गवाही देता है। प्रदर्शन चाहे कितना भी लंबा चला हो और मजबूत रहा हो, उसका समापन या समाधान सिर्फ वार्ता के जरिए ही निकला है। तोमर ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे किसान संगठन वार्ता करेंगे। यदि वे एक तिथि और समय सुनिश्चित करते हैं तो सरकार अगले दौर की वार्ता के लिए तैयार है। मुझे उम्मीद है कि हम समाधान के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे।
 
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि किसानों का सम्मान करना सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है , लेकिन अफसोस की बात है कि किसानों को अपने हक के लिए भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पवार ने राष्ट्रीय किसान दिवस पर ट्विटर पर पोस्ट करके किसानों को न्याय मिलने की कामना की। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बुधवार को मनाया जा रहा राष्ट्रीय किसान दिवस किसानों के लिए एक काला दिन है।
 
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों से बुधवार को बात की और अपनी पार्टी टीएमसी के समर्थन का आश्वासन दिया। नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन जताने के लिए टीएमसी सांसदों डेरेक ओ ब्रायन, शताब्दी रॉय, प्रसून बनर्जी, प्रतिमा मंडल और मोहम्मद नदीमुल हक के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात भी की।
 
ओ ब्रायन ने ट्विटर पर कहा कि एक किसान ने फोन पर ममता बनर्जी से कहा कि कृपया यहां आइए और हमारे धरने से जुड़िए जिससे हमें और ताकत मिलेगी। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दोबारा सिंघू बॉर्डर का दौरा किया और प्रदर्शनकारी किसानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की। बंगाल की मुख्यमंत्री ने कई समूहों से बात की।
 
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रदेश की वामपंथी सरकार द्वारा बुधवार को प्रस्तावित एक दिवसीय विशेष सत्र की इजाजत देने से इंकार करने के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्र की राजग सरकार की निंदा करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। माकपा नेता ने कहा कि किसान देश के अन्नदाता है इसलिए उनकी मांग को राष्ट्र के हित में देखा जाना चाहिए। 
उन्होंने हालांकि विशेष सत्र को निलंबित किए जाने के फैसले के बारे में कुछ नहीं कहा।
ALSO READ: योगी आदित्‍यनाथ ने कहा- किसानों के आंदोलन के लिए विपक्ष का दुष्‍प्रचार जिम्‍मेदार...
उधर केरल के राज्यपाल ने बुधवार को अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा उठाए गए उस सवाल का जवाब नहीं दिया कि विशेष सत्र बुलाए जाने के लिए ऐसी कौन सी आपात स्थिति बन गई। तीन कृषि कानूनों पर वामपंथी दलों के रुख को उनका पाखंड बताते हुए भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि त्रिपुरा, केरल और पश्चिम बंगाल में अपने शासन के दौरान उसने किसानों पर अत्याचार किए। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि जहां भी वामपंथी दल शासन में रहे वहां किसानों और अर्थव्यवस्था के लिए कुछ नहीं बचा। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले लोग जब सत्ता में आते हैं तो किसानों के मुद्दों पर ही मौन हो जाते हैं।
 
उन्होंने कहा कि बार-बार कहा जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त नहीं होगा लेकिन तब भी एमएसएपी के नाम पर गुमराह किया जा रहा है। बार-बार कहा जा रहा है कि मंडियां समाप्त नहीं होंगी लेकिन तब भी इसके नाम पर गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने मंडी को तकनीक के साथ जोड़ा लेकिन तब भी गुमराह किया जा रहा है कि मंडी बंद हो जाएगी। यह कैसी राजनीति है? (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Weather Alert : उत्तर भारत के अधिकतर हिस्से शीतलहर की चपेट में, जानिए क्या रहेगा मौसम का हाल