नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रुख कड़ा करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस 'कराएंगे'। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए 'प्रतिबद्ध' हैं। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे।
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे। उन्होंने कहा कि लड़ाई उस चरण में पहुंच गई है, जहां हम मामले को जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम बातचीत से नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा। एक अन्य नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलनकारी किसान ज्यादा दिनों तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहते हैं तो उनका प्रदर्शन और तेज होगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कुछ और सोच रही है तो वह गलत है।
किसानों को किया जा रहा है गुमराह : एक तरफ जहां किसान नेता जब अपना रुख कड़ा कर रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली के नजदीक इकट्ठा हुए किसानों को षड्यंत्र के तहत गुमराह किया जा रहा है। अपने गृह राज्य गुजरात में कुछ विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद मोदी ने कहा कि उनकी सरकार नए कृषि कानूनों पर किसानों की चिंताओं का समाधान कर रही है।
मनाएंगे श्रद्धांजलि दिवस : सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेताओं ने 20 दिसंबर को उन किसानों की याद में देशभर में 'श्रद्धांजलि दिवस' मनाने का आह्वान किया जिन्होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा दी। किसान नेता ऋषिपाल ने कहा कि नवंबर के अंतिम हफ्ते में प्रदर्शन शुरू होने के बाद रोजाना औसतन एक किसान की मौत हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान अपना जीवन गंवाने और शहीद होने वाले किसानों के लिए 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक देश के सभी गांवों और तहसील मुख्यालयों में श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया जाएगा। ऋषिपाल ने कहा कि सबसे पहले सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए, इसके बाद ही किसान वार्ता करेंगे। उन्होंने कहा कि देशभर में 350 जिलों में सोमवार को हुए प्रदर्शन सफल रहे और किसानों ने 150 टोल प्लाजा को 'नि:शुल्क' कर दिया।
आंदोलन में शामिल होंगी महिलाएं : डल्लेवाल ने कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगले 3-4 दिनों में वे बड़ी संख्या में आ रही हैं और नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने जा रही हैं। उन्होंने आरोप लगाए कि केंद्र सरकार कृषि संगठनों के बीच विभेद करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है लेकिन उन्होंने मन बना लिया और लड़ाई में एकजुट हैं। डल्लेवाल ने कहा कि सरकार कह रही है कि कोरोना वायरस है और इसके अधिकारी संक्रमित हो रहे हैं लेकिन सीमाओं पर बैठे किसान कोरोना वायरस से संक्रमित क्यों नहीं हो रहे हैं ? भगवान हमारे साथ हैं।
वास्तविक संगठनों से बातचीत के लिए सरकार तैयार : केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार 'वास्तविक किसान संगठनों' के साथ वार्ता जारी रखने और खुले दिमाग से मसले का समाधान खोजने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की किसानों से उनकी उपज खरीदने की प्रतिबद्धता होती है, वह एक प्रशासनिक निर्णय होता और यह वर्तमान स्वरूप में 'इसी तरह जारी रहेगा'।
तोमर का यह बयान उत्तरप्रदेश के भारतीय किसान यूनियन (किसान) के सदस्यों के साथ बैठक के बाद आया। यूनियन की ओर से तोमर को इस दौरान कृषि कानूनों और एमएसपी के बारे में सुझाव के साथ एक ज्ञापन भी सौंपा। मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि तोमर ने बीकेयू (किसान) नेताओं को कृषि कानूनों के समर्थन में आने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इन कानूनों का देश भर के विभिन्न राज्यों में स्वागत किया गया है।
बयान के मुताबिक तोमर ने कहा कि सरकार वास्तविक कृषि यूनियनों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए तैयार है और खुले दिमाग के साथ समाधान खोजने को तैयार है। बीकेयू (किसान) के नेताओं की ओर से कृषि मंत्री को दिए गए सुझावों में विवाद की स्थिति में किसानों को दीवानी अदालतों में जाने का विकल्प दिए जाने की मांग, पंचायत के मुखिया को मंडी के प्रमुख के समान ही महत्व दिया जाना, जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगाना तथा बिजली की दरों को कम किया जाना शामिल है।
उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि खरीद केंद्रों पर फसलों के लिए मानक तय किए जाने चाहियें ताकि किसानों को उपज बेचने में कोई परेशानी न हो। बैठक के बाद बीकेयू (किसान) के अध्यक्ष पवन ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि मंत्री ने कानूनों के बारे में विस्तार से बताया और हमें एहसास हुआ कि कानून वास्तव में अच्छे हैं। हमें कुछ संदेह थे, उन्होंने उन सभी को साफ कर दिया। मंत्री ने कहा कि हमारी मांगों पर वह गौर करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यूनियन ने अपने विरोध प्रदर्शन को खत्म करने का फैसला किया है, जिसे वह उत्तर प्रदेश में जिला स्तर पर आयोजित कर रहा था। उन्होंने कहा कि अगर यूनियन की मांग पूरी नहीं हुई तो वे फिर से विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बीकेयू (किसान) के वर्ष 2009 से संरक्षक आचार्य राम गोपाल दीक्षित ने कहा कि मंत्री ने हमारे प्रमुख संशोधनों को ध्यान से सुना। उन्होंने कहा कि सरकार पहले से ही इन मुद्दों पर चर्चा कर रही है। हमने कानूनों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए 6 मुद्दों का सुझाव दिया। हम मंत्री के साथ बातचीत से खुश हैं। हमें विश्वास है कि सरकार सकारात्मक रूप से काम कर रही है। ज्ञात हो कि तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कुछ अन्य मंत्री पिछले कुछ दिनों से विभिन्न किसान यूनियनों से मिल रहे हैं जिन्होंने नए कानूनों को समर्थन दिया है। (भाषा)