Biodata Maker

कृषि कानून : समिति ने सौंपी रिपोर्ट, किसानों का आंदोलन तेज करने का ऐलान

Webdunia
गुरुवार, 1 अप्रैल 2021 (00:05 IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नए कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी है जबकि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने अप्रैल से अपने आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की है।
 
शीर्ष अदालत समिति की रिपोर्ट पर 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा। तीन सदस्यीय समिति के एक सदस्य अनिल घनावत ने शीर्ष अदालत में रिपोर्ट सौंपे जाने की बुधवार को पुष्टि की। उन्होंने कहा कि समिति ने 19 मार्च को ही अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी थी।
 
सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों को लेकर तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति को तीन नए कृषि कानूनों पर रिपोर्ट सौंपने के लिए 20 मार्च तक का समय दिया गया था। समिति ने हालांकि अभी यह नहीं बताया कि इसमें क्या सिफारिशें की गई हैं।
 
केंद्र सरकार के रवैए से नाराज किसानों ने मई माह के पहले पखवाड़े में संसद भवन तक पैदल मार्च करने का ऐलान किया है। इसकी अगुवाई महिलाएं करेंगी और सभी बॉर्डर से एक साथ किसान पैदल दिल्ली के लिए निकलेंगे।
 
कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त मोर्चा की बैठक में यह निर्णय लिया गया हैं। इनके बारे में आज किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी, एडवोकेट प्रेम सिहं भंगु, बूटा सिहं बुर्जगिल, सतनाम सिंह अजनाला रविंदर कौर, सरदार संतोख सिंह, जोगेंद्र नैन और प्रदीप धनखड़ ने जानकारी दी है।
 
किसान नेताओं ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर जिस तरह से पुलिस ने किसानों को गुमराह किया था, ऐसा इस बार नहीं होगा। इसके चलते ही पैदल मार्च का निर्णय लिया गया है ताकि सभी क्रमबद्ध तरीके से चलें। एक सवाल के जवाब में किसान नेता गुरनामसिंह चढूनी ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है। प्रधानामंत्री कह रहे हैं कि एमएसपी था और रहेगा जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब किसानों की बात हुई तो उन्होंने साफ मना कर दिया था कि सरकार सारी फसल नहीं खरीद सकती है।
 
चढूनी ने कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो प्रधानमंत्री संसद के पटल पर कह दें कि सभी 23 फसल एमएसपी पर खरीदी जाएंगी। अगर कोई प्राइवेट आदमी कम पर खरीदता है, तो बाकी के पैसे का भुगतान किसान को सरकार करेगी, किसान मान जाएंगे कि सरकार हितैषी है। उन्होंने दोहराया कि तीन कानूनों में किसी तरह की कमी-पेशी पर सहमति का सवाल ही नहीं है। सरकार बिना राज्यों की मंजूरी के यह कानून बना ही नहीं सकती है, तो कानून क्यों बनाए गए। यह राज्य सरकारों के भरोसे क्यों नहीं छोड़ा गया। इसलिए यह तीनों कानून पूरी तरह रद्द कराकर ही किसान घर के लिए लौटेंगे।
 
संसद कूच के आंदोलन में महिलाएं, दलित, आदिवासी, बहुजन, बेरोज़गार युवा और समाज का हर तबका शामिल होगा। इसमें भाग लेने के लिए बॉर्डर तक लोग अपने वाहनों से पहुंचेंगे और बॉर्डर से आगे नेताओं की अगुवाई में पैदल दिल्ली कूच होगा।
 
इसके अलावा 10 अप्रैल के दिन कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे को 24 घंटे के लिए जाम किया जाएगा। इससे पहले 5 अप्रैल को भारतीय खाद्य निगम के देशभर में 736 जिलों में कार्यालय के बाहर 11 बजे से शाम 6 बजे तक धरना प्रदर्शन होगा। 
 
किसानों ने बैसाखी पर्व व आंबेडकर जयंती धरनास्थल पर ही मनाने का निर्णय लिया है। आंबेडकरज यंती पर किसान संविधान बचाओ दिवस मनाएंगे ताकि देश में लोकतंत्र को बचाया जा सके। इसी क्रम में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जा रहा है। इसके बाद संसद कूच के लिए तारीख तय करके आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

भाजपा का टूटेगा सपना, नीतीश की चमकेगी किस्मत, RJD सबसे बड़ा दल!

Delhi Blast : कैसे फेल हो गया डॉ. उमर नबी का प्लान, 6 दिसंबर को कैसे और कहां करना चाहता था विस्फोट

दिल्ली धमाका केस में पुलिस को बड़ी कामयाबी, फरीदाबाद में मिली लाल कार, आखिर क्या है इस कार का रहस्य

भूटान से लौटते LNJP अस्पताल पहुंचे पीएम मोदी, घायलों से मिले

फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर उठे सवाल, VC ने इस तरह दी सफाई

सभी देखें

नवीनतम

NDA की प्रचंड जीत पर PM मोदी का पहला रिएक्शन, नीतीश कुमार को लेकर क्या कहा

LIVE: Bihar Election Result 2025 बिहार में सुशासन की जीत, एनडीए की जीत पर बोले PM मोदी

उत्तर प्रदेश अमरोहा के मोहम्मद शमी अब IPL2026 में खेेलेंगे लखनऊ के लिए

बिहार चुनाव में SIR ने कर दिया खेल, यह क्या बोल गए अखिलेश?

Bihar Election Results 2025: तेजप्रताप नहीं दिखा सके तेज, लालू के बड़े बेटे महुआ में बेहाल

अगला लेख