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Kisan Garjana Rally: दिल्ली में किसानों की 'गर्जना रैली', केंद्र सरकार को चेतावनी- 'समाधान नहीं किया तो आने वाला संकट गंभीर', ये हैं मुख्य मांगें

हमें फॉलो करें Kisan Garjana Rally: दिल्ली में किसानों की 'गर्जना रैली', केंद्र सरकार को चेतावनी- 'समाधान नहीं किया तो आने वाला संकट गंभीर', ये हैं मुख्य मांगें
, सोमवार, 19 दिसंबर 2022 (20:51 IST)
नई दिल्ली। Kisan Garjana Rally : हजारों किसानों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध किसान संगठन भारतीय किसान संघ (BSK) के बैनर तले सोमवार को यहां रामलीला मैदान में ‘किसान गर्जना’ रैली की और कृषि उत्पादों पर से जीएसटी वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसानों ने मांगें नहीं मांगे जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
 
इन राज्यों के किसान हुए शामिल : राहत उपायों की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ (BSK) द्वारा यहां रामलीला मैदान में आयोजित ‘किसान गर्जना’ रैली में भाग लेने के लिए पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड के बावजूद ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और निजी बसों से दिल्ली पहुंचे।
 
ये हैं मांगे : आयोजकों ने कहा कि प्रदर्शनकारी कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि, आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति को रद्द करने और उनकी उपज के लिए लागत आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग कर रहे थे।
 
खोखले साबित हुए प्रधानमंत्री के वादे : बीकेएस द्वारा जारी एक बयान कहा गया है कि यदि समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो राज्य और केंद्र सरकारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
 
बीकेएस के राष्ट्रीय महासचिव मोहिनी मोहन ने कहा कि किसानों के अधिकारों को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे खोखले साबित हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। किसान भिखारी नहीं हैं, उन्हें अपनी फसल के लिए लाभकारी मूल्य पाने का अधिकार है।
 
मोहन ने कहा कि अगर सरकार समय पर नहीं जागी तो दुनिया का सबसे बड़ा किसान संगठन ‘और मुखर होगा।’’
 
हटाया जाए जीएसटी : मध्यप्रदेश के इंदौर से आए नरेंद्र पाटीदार ने कहा कि खेती से जुड़ी मशीनरी और कीटनाशकों पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति के बीच, हमें कोई लाभ नहीं होता हैं। सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। डेयरी उद्योग पर भी जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए। मौजूदा स्थिति में कोई 6,000 रुपये या 12,000 रुपये में परिवार कैसे चला सकता है?’’
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कई किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने तीन महीने के भीतर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे विरोध तेज करेंगे।
 
किसान सम्मान निधि 15000 की जाए : मध्यप्रदेश के एक अन्य किसान दिलीप कुमार ने कहा कि कृषि मशीनरी, कीटनाशकों और उर्वरकों पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने ‘डेयरी फार्मिंग’ पर भी पांच प्रतिशत कर लगाया है। किसान सम्मान निधि के तहत 6,000 रुपए और कुछ नहीं, बल्कि किसानों का अपमान है। यह कम से कम 15,000 रुपए होना चाहिए। महाराष्ट्र के रायगढ़ के प्रमोद ने सरकार पर किसानों पर जीएसटी थोपने और कंपनियों को सब्सिडी देने का आरोप लगाया।
 
उन्होंने कहा कि वे बीज पर भी जीएसटी लगाते हैं। कम से कम इसके (जीएसटी) बारे में कुछ न कुछ किया जाना चाहिए। जो पेंशन वे प्रदान करते हैं, वह एक मजाक है। केवल 6,000 रुपए से कोई अपने परिवार का पालन कैसे कर सकता है? (केंद्रीय कृषि मंत्री) नरेंद्र तोमर ने कहा है इसे बढ़ाकर 12,000 रुपये किया जाएगा, लेकिन यह भी काफी नहीं है। 
 
इस बीच, पंजाब के फिरोजपुर के सुरेंद्र सिंह ने दावा किया कि सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत पिछली दो किस्त नहीं दी। उन्होंने कहा कि किसान भी कुशल मजदूर हैं, कम से कम हमें इतना सम्मान दिया जाना चाहिए।
 
प्रदर्शनकारियों ने अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि जीएम बीज लोगों और आने वाली पीढ़ियों के लिए 'हानिकारक' है और किसान तब तक उनका उपयोग नहीं करेंगे, जब तक कि सरकार उन्हें विश्वसनीय अनुसंधान डेटा प्रदान नहीं करती।
 
अक्टूबर में, सरकार ने सरसों की आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) किस्म को 'पर्यावरणीय मंजूरी' को मंजूरी दे दी थी। किसानों द्वारा फसल के व्यावसायिक उत्पादन से पहले बीज उत्पादन और क्षेत्र परीक्षण को शामिल करते हुए 'पर्यावरण मंजूरी' अंतिम चरण है।
 
नागपुर से आये अजय बोंद्रे ने कहा कि जब तक हमें अनुसंधान विवरण प्रदान नहीं किया जाता है, जब तक कि हमें कोई प्रमाण नहीं मिल जाता है कि यह विश्वसनीय है, हम जीएम बीजों का उपयोग करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। किसान बहुत लंबे समय से जीएम फसलों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार हम पर ध्यान नहीं देती है।
 
पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की कंचन रॉय ने कहा कि कई लोगों ने खेती छोड़ दी है, क्योंकि वे लागत वहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि वे पश्चिम बंगाल से दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश में पलायन कर रहे हैं। क्या सरकार को इस बात का एहसास है कि देश भर में महंगाई कैसे बढ़ रही है और वह अब भी चाहती है कि हम सिर्फ 6,000-12,000 रुपए से गुजारा करें।
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सिर्फ मिले आश्वासन : गुजरात के अरावली के किशोर पटेल ने कहा कि कुछ मांगें मान ली गई हैं, ‘‘लेकिन राज्य चुनावों से पहले आश्वासन के बावजूद प्राथमिक मांगों पर विचार नहीं किया गया है।’
 
बीकेएस ने कहा कि उसने दिल्ली आने से पहले चार महीने तक देश भर के 560 जिलों के 60,000 से अधिक गांवों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया। उसने कहा कि अकेले तेलंगाना और मध्य प्रदेश में लगभग 20,000 पदयात्राएं, 13,000 साइकिल यात्राएं और 18,000 बैठकें आयोजित की गईं। भाषा

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