MSP पर PM के बयान पर बोले राकेश टिकैत- देश भरोसे से नहीं, कानून से चलता है

Webdunia
सोमवार, 8 फ़रवरी 2021 (22:18 IST)
गाजियाबाद। किसान नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि देश में भूख पर व्यापार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। साथ ही उन्होंने उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर कानून बनाने और नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग दोहराई।
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टिकैत ने प्रधानमंत्री पर लोगों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुद्दे पर भ्रमित करने का आरोप लगाया और कहा कि नए कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठन सरकार के साथ चर्चा के लिए तैयार हैं।
 
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता की यह टिप्पणी राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के तुरंत बाद आई। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कहा था कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा।
 
टिकैत ने कहा कि देश में भूख पर व्यापार नहीं होगा। भूख जितनी लगेगी अनाज की कीमत उतनी होगी। देश में भूख से व्यापार करने वालों को बाहर निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह विमानों के टिकटों की कीमत दिन में तीन से चार बार बदलती है, उस तरीके से फसल की कीमत तय नहीं की जा सकती।
 
एमएसपी पर प्रधानमंत्री के आश्वासन पर टिकैत ने कहा कि किसानों ने कभी नहीं कहा कि देश में फसलों के लिए एमएसपी नहीं है, बल्कि वे उसके लिए कानून की मांग कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि वे उलझा रहे हैं। हमने कभी नहीं कहा कि एमएसपी नहीं है, हमने बस एमएसपी पर कानून की मांग की है। यदि ऐसा हुआ तो यह देश के किसानों के लिए मददगार होगा। फिलहाल व्यापारी आधा मूल्य देकर किसानों को लूट रहे हैं। यही हमने कहा है।
 
टिकैत ने कहा कि यदि केंद्र नए कृषि कानून वापस ले लेता है और एमएसपी पर कानून बना देता है तो कोई दिक्कत ही नहीं है। इस आंदोलन के राजनीति से प्रेरित होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि यहां राजनीति वाले नहीं हैं। मुझे दिखाइए कि कोई ऐसा यहां है। कुछ नेता आए और हमसे मिले लेकिन यहां उन्हें मंच या टेंट नहीं मिला है।
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प्रधानमंत्री ने कहा था कि एक ‘नया समुदाय’ उभरा है जो ‘प्रदर्शनों में लिप्त’ है। इस पर टिप्पणी करते हुए टिकैत ने कहा कि हां, इस बार यह किसान समुदाय है जो उभरा है और लोग किसानों का समर्थन कर रहे हैं। 
 
उन्होंने कहा कि नए कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने यह रेखांकित किया है कि एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है जिसकी वजह से व्यवसायी कम कीमतों पर उनकी उपज खरीदकर उन्हें लूटते हैं।
 
उन्होंने किसानों के जारी आंदोलन को जाति और धर्म के आधार पर बांटने के प्रयासों की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि इस अभियान को पहले पंजाब के मुद्दे के रूप में दर्शाया गया, उसके बाद सिख और फिर जाट मुद्दे के रूप में इसे पेश किया गया। इस देश के किसान एकजुट हैं। कोई भी किसान बड़ा या छोटा नहीं है। यह अभियान सभी किसानों का है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बातचीत करना चाहती है तो किसान संगठन अपनी समिति के माध्यम से वार्ता करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे नेताओं में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
 
इससे पहले, राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि गरीबों को सस्ता राशन मिलना जारी रहेगा, मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा।
 
प्रधानमंत्री के संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए एक अन्य किसान नेता अभिमन्यू कोहाड़ ने कहा कि सरकार यह बात सैकड़ों बार कह चुकी है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा। उन्होंने पीटीआई से कहा कि  यदि सरकार दावा कर रही है कि एमएसपी जारी रहेगा तो हमारी उपज के लिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी क्यों नहीं देती। 
 
किसान संघों को प्रधानमंत्री द्वारा वार्ता का आमंत्रण देने के बारे में सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संघ सरकार के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन यह औपचारिक रास्ते से होना चाहिए।
 
बीकेयू एकता उग्राहन के पंजाब महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि उचित वार्ता के जरिए कोई भी मुद्दा सुलझाया जा सकता है। वार्ता बहाल करने के लिए हम सैद्धांतिक रूप से तैयार हैं। (भाषा)

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