गाजीपुर (यूपी)। किसान 62 दिनों से यूपी गाजीपुर बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर पर कृषि कानून के विरोध में डटे हुए हैं। गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लिया, लेकिन परेड के दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर बवाल हुआ। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इसे पूर्व नियोजित हंगामा करार दिया है। इतना ही नहीं, टिकैत ने कहा कि किसानों के ट्रैक्टरों का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई पुलिस-प्रशासन करेगा। साथ ही राकेश टिकैत ने दोहराया कि उनका और किसानों का विश्वास शांतिपूर्ण आंदोलन में है और वे किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हैं।
राकेश टिकैत के मुताबिक किसानों को दिए गए रूट पर ही ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा था, कुछ किसान रास्ता भटक गए थे, पुलिस ने उन्हें रास्ता बताने की जगह रोक दिया। वहीं जिन रूटों पर किसानों का प्रवेश वर्जित था, वहां जो लोग आए कौन थे और उन्होंने उपद्रव किया, ये जांच का विषय है। हमने बवाल करने वाले कुछ की पहचान कर ली है तथा सरकार और प्रशासन भी जांच करवा लें। किसान अनुशासित हैं और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन कुछ लोग आंदोलन खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। टिकैत का इशारा राजनीतिक दलों के जुड़े लोगों की तरफ है। साथ ही उन्होंने यह साफ कर दिया कि वे तब तक दिल्ली में जमे रहेंगे, जब तक कि कोई समाधान नहीं निकलता।
राकेश टिकैत ने पुलिस पर सीधा आरोप लगाया है कि निर्धारित मार्ग पर बहुत पक्के बैरिकेड्स लगाए गए थे, जो अब भी वैसे ही खड़े हैं। लेकिन कथित किसान जिन रास्तों से दिल्ली में घुसे, वहां नाममात्र के ही बैरिकेड्स लगे थे। उन्होंने कहा कि रास्ता भटक गए किसानों को पुलिस ने सही रास्ता न बताकर अव्यवस्था फैलवाई और पुलिस ने किसानों के ट्रैक्टरों में तोड़फोड़ की। ऐसे वाहनों की क्षतिपूर्ति उन्हें करनी होगी।
लाल किले पर तिरंगा किसने फहराया है, उसकी जांच करेंगे। जिसने झंडा फहराया गया है वो गलत है, नहीं होना चाहिए। लाल किले पर झंडा नहीं फहराया है बल्कि उसके नजदीक झंडा लहराया गया है। हमारा एक किसान शहीद हुआ है। हम हिंसा समर्थक नहीं हैं तथा हम घटना की निंदा करते है।
टिकैत के मुताबिक पुलिस का रवैया यदि रूट के मामले में सही होता तो ये बवाल बच सकता था। हमारे किसानों की संपत्ति का डैमेज कंट्रोल हर हालत में पुलिस को करना होगा। फिलहाल दिल्ली की स्थिति को देखते हुए अर्द्धसैनिक बलों को बुला लिया गया है।