किसान संगठनों ने कृषि मंत्री तोमर से की मुलाकात, कृषि कानूनों का किया समर्थन

Webdunia
मंगलवार, 22 दिसंबर 2020 (20:42 IST)
नई दिल्ली। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 27 दिन हो गए हैं और इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन जल्द अपनी आंतरिक चर्चा पूरी करेंगे और संकट के समाधान के लिए सरकार के साथ पुन: वार्ता शुरू करेंगे।
ALSO READ: भारत में फिलहाल नहीं पाया गया Coronavirus का नया प्रकार, वैक्सीन पर भी कोई असर नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय
तोमर ने दिल्ली और उत्तरप्रदेश के दो और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, जिन्होंने कानूनों के प्रति अपना समर्थन जताया है। कृषि मंत्री ने दोनों समूहों से मुलाकात के बाद कहा कि विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि यह बताने आए थे कि कानून अच्छे हैं और किसानों के हित में हैं। वे सरकार से यह अनुरोध करने आए थे कि कानूनों में कोई संशोधन नहीं किया जाए। 
 
उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि वे (प्रदर्शनकारी किसान संघ) जल्द अपनी आंतरिक वार्ता पूरी करेंगे और सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आएंगे। हम सफलतापूर्वक समाधान निकाल सकेंगे।
 
कृषि मंत्रालय ने रविवार को प्रदर्शनकारी समूहों को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि सरकार के प्रस्तावों पर अपनी चिंताएं स्पष्ट करें तथा प्रदर्शन को समाप्त करने के लिहाज से वार्ता के अगले चरण के लिए तारीख तय करें।
ALSO READ: कृषि कानून पर ऐसे दूर हो सकता है किसानों और सरकार के बीच का गतिरोध, SBI रिसर्च की रिपोर्ट
दोनों पक्षों के बीच हुई कम से कम पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है और आंदोलनकारी किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने से कम किसी चीज पर राजी नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की किसान संघर्ष समिति (केएसएस) और दिल्ली का इंडियन किसान यूनियन (आईकेयू) उन किसान संगठनों में शामिल है, जिन्होंने पिछले तीन सप्ताह में नए कृषि कानूनों के प्रति समर्थन जताया है। इससे पहले हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ संगठन सरकार का समर्थन कर चुके हैं।
ALSO READ: ब्रिटेन में Coronavirus के नए strain के सामने आने के बाद क्या भारत में भी लगेगा Lockdown? सरकार का बड़ा बयान
मंगलवार को हुई बैठक में राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र सिंह नागर और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री तथा आईकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकुमार वालिया भी उपस्थित थे। केएसएस के अध्यक्ष अजय पाल प्रधान ने बैठक के बाद कहा कि केंद्र द्वारा लागू किए गए तीनों कानून अच्छे हैं और किसान समुदाय के हित में हैं। केएसएस ने कानूनों का समर्थन करते हुए कृषि मंत्री से यह अनुरोध भी किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की व्यवस्था जारी रहनी चाहिए।
 
प्रधान ने दावा किया कि कानूनों के समर्थन में ट्रैक्टरों पर सवार होकर आए हजारों किसानों को सीमा पर रोक दिया गया है, इसलिए कुछ प्रतिनिधि ही मुलाकात के लिए आए। केएसएस ने तोमर को दिए ज्ञापन में सरकार से यह अनुरोध भी किया है कि गौतमबुद्ध नगर के किसानों और नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना विकास प्राधिकरणों के बीच 2011-12 में हुए समझौते को लागू किया जाए।
 
प्रधान ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी प्राधिकरण समझौते को लागू नहीं कर रहे हैं जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने उन किसानों को दस प्रतिशत विकसित जमीन देने का फैसला किया था जिनकी भूमि विकास और आवासीय परियोजनाओं के लिए अधिगृहीत की गई थी।
 
केएसएस ने यह मांग भी की कि सरकार को केवल उतनी भूमि अधिसूचित करनी चाहिए जो विकास के लिए जरूरी हैं। सिकंदराबाद औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों ने 45 प्रतिशत अधिगृहीत जमीन विकसित की है और बाकी का अभी तक उपयोग नहीं किया गया है।
 
केएसएस ने मंडियों के आधुनिकीकरण, मंडियों के विकास के लिए मंडी कर का उपयोग करने, नलकूप शुल्क कम करने की योजना और कम ब्याज दर पर कृषि ऋण की दिशा में कदम उठाए जाने की भी मांग की।
 
वालिया ने कहा कि हमने कृषि कानूनों को विस्तार से पढ़ा है और ये किसानों के पक्ष में हैं। हम किसानों से इस मुद्दे पर गुमराह नहीं होने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून बिचौलियों को हटाएंगे और किसानों को उनकी उपज बेचने के लिए विकल्प मुहैया कराएंगे।
नोएडा में यातायात बाधित :  तीन नए कृषि कानूनों के समर्थन में किसानों का एक समूह मंगलवार को सड़क पर प्रदर्शन किया, जिसकी वजह से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर सैकड़ों वाहनों की कतार लग गई।
 
अधिकारियों ने बताया कि ये प्रदर्शनकारी मुख्यत: ग्रेटर नोएडा के जेवर और दादरी के रहने वाले हैं और उन्हें पुलिस ने कथित तौर पर महामाया फ्लाईओवर पर रोक दिया। उन्होंने बताया कि ग्रेटर नोएडा-नोएडा मार्ग पर सामान्य यातायात करीब तीन घंटे बाद ही बहाल हो पाया। नोएडा यातायात पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ समय तक यातायात प्रभावित रहने के बाद महामाया फ्लाईओवर के निकट वाले हिस्से पर सामान्य यातायात बहाल हो गई।
 
हालांकि नोएडा से दिल्ली जाने के लिए अब भी चिल्ला बॉर्डर (एक तरफ से) बंद है, जहां भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के सदस्य एक दिसंबर से ही नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए जमा हैं।
 
अधिकारी ने बताया कि चिल्ला बॉर्डर केवल दिल्ली से नोएडा जाने वाले लोगों के लिए खुला है। नोएडा और दिल्ली की यात्रा करने वाले लोगों को डीएनडी और कालिंदी कुंज मार्ग से जाने की सलाह दी गई है। इसी बीच भाकियू (लोक शक्ति) के सदस्य दलित प्रेरणा स्थल पर जमे हैं। वे यहां 2 दिसंबर से ही नए कानून का विरोध कर रहे हैं।
 
यहां आए प्रदर्शनकारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से ताल्लुक रखते हैं। ए किसान उस स्थान पर जाना चाहते थे जहां पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं।

खट्टर के काफिले को रोकने की कोशिश : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उस वक्त काले झंडे दिखाए, जब उनका काफिला अंबाला शहर से गुजर रहा था। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुछ किसानों ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री के काफिले को रोकने की कोशिश की 
 
लेकिन पुलिस उन्हें सुरक्षित निकालने में कामयाब रही। खट्टर, अंबाला में आगामी निकाय चुनावों में महापौर और पार्षद के प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित करने आए थे। मुख्यमंत्री का काफिला जब अग्रसेन चौक को पार कर रहा था, तब किसानों ने काले झंडे दिखाए। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कहा कि जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख