जानिए विविध प्रकार के पशु-पक्षी

मन को ‍आ‍कर्षित करते खूबसूर‍‍त पक्षी

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शिकरा हॉक :- पेड़ के सबसे ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाकर रहने वाला शिकरा हॉक घने जंगलों में जाने से परहेज करता है। यह खुले जंगल और खेतों एवं रिहायशी इलाकों के आसपास रहना पसंद करता है। मुख्य रूप से चूहे, छिपकली, गिलहरी, छोटे पक्षी आदि इसका आहार है। इसी कारण पोल्ट्री फार्म के आसपास देखा जा सकता है।

यह चूजों को आसानी से अपना शिकार बना लेता है। इसका प्रजनन काल मार्च से जून होता है। मादा शिकरा हॉक एक बार में तीन से चार अंडे देती है। आम जैसे पेड़ों पर सबसे ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाते हैं।

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लिटिल ग्रैब :- मादा लिटिल ग्रैबनर लिटिल ग्रैबइस पक्षी का आकार बहुत कुछ बतख से मिलता-जुलता है। लिटिल ग्रैब वैसे तो अधिकांश समय पानी में ही रहता है, साथ ही छोटे-छोटे पंखों की मदद से लंबी दूरी तक उड़ सकता है।

खासकर जब पानी कम होने पर यह जगह बदलने के लिए काफी दूरी तय कर लेता है। पानी के कीड़े, छोटे मेंढ़क आदि इसका आहार है।

ग्रैब अपना घोंसला अप्रैल से अक्टूबर के मध्य बनाता है और यही इनका प्रजनन काल होता है। एक बार मादा ग्रैब तीन से पांच अंडे देती है। जलीय वनस्पति से ही यह पानी में घोंसला बनाता है।

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कॉमन मूर हेन :- कॉमन मूर हेन की दो प्रजाति भारत में मिलती है। यह बहुत ज्यादा तैरता है। खास बात यह है कि तैरते वक्त यह अपने सिर को लगातार झटके देकर इधर-उधर घुमाता रहता है। वैसे तो यह ज्यादा उड़ता नहीं है, लेकिन जब भी उड़ता है, पानी की सतह पर ही पंख और पैर टकराते हुए उड़ता है।

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के समय इसका प्रजनन काल होता है। मादा कॉमन मूर हेन एक बार में पांच से बारह अंडे देती है। यह भी सितंबर या अक्टूबर में उत्तरी कश्मीर और उत्तरी पाकिस्तान से इधर आते हैं और मार्च-अप्रैल में पुनः अपने ठिकानों पर लौट जाते हैं।

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व्हाइट वेगटेल :- व्हाइट वेगटेल जमीन पर बहुत तेजी से दौड़ता है। दौड़ते समय इसकी पूंछ तेजी से ऊपर-नीचे होती है। पूंछ और मुंह के तालमेल से ही यह अपना शिकार करता है। छोटे कीड़े-मकोड़े इसके मुख्य शिकार होते हैं। इसका प्रजनन काल मई से जुलाई रहता है। व्हाइट वेगटेल अपना घोंसला काफी ऊंचाई पर पत्थरों के बीच बनाता है। मादा वेगटेल एक बार में चार से छह अंडे देती है।

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मॉर्श सैंड पाइपर :- मॉर्श सैंड पाइपर आम सैंड पाइपर की अपेक्षा आकार में थोड़ा होता है। यह अप्रवासी पक्षी है तथा उत्तर एशिया व योरप से आते हैं। तालाब आदि के किनारों पर रहना पसंद करता है। दलदलीय इलाका इन्हें अधिक पसंद है। इसका मुख्य कारण भोजन है। छोटे मेंढ़क यानी टेडपोल लार्वा, कीड़े-मकोड़े आदि इन्हें आसानी से मिल जाते हैं। इनका प्रजनन काल अप्रैल से अक्टूबर रहता है।

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वॉयर टेल्ड स्वालो :- ऊपर से चमकीले नीले वॉयर टेल्ड स्वालो का सिर मुकुट के समान होने से बहुत आकर्षक लगता है। उनकी पूंछ से ही नर व मादा में अंतर किया जा सकता है। मादा की पूंछ जहां छोटी होती है, वहीं नर स्वालो की पूंछ मादा की अपेक्षा लंबी तथा वॉयर के समान प्रतीत होती है। यह स्थानीय अप्रवासी होता है तथा पानी के आसपास ही रहना पसंद करता है। प्रजनन काल के दौरान नर स्वालों की आवाज मधुर होती है।

मादा स्वालो का प्रजनन काल मार्च से सितंबर होता है। मिट्टी से अपना घर बनाने वाली मादा स्वालो तीन से पांच अंडे एक बार में देती है। अंडों को नर व मादा दोनों ही सेते हैं। यह बहुत अच्छा तैराक होने के साथ-साथ बहुत उम्दा गोताखोर है। पानी की सतह पर तैरते-तैरते तीर की तरह पानी के अंदर चला जाता है। इसकी विशेषता बंदूक की गोली से भी ज्यादा तेज गति से पानी के अंदर जाने की है।

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