दोस्ती पर कविता : आओ, मुझमें डुबकी लगाओ

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फाल्गुनी
 
दोस्ती, खुशी का मीठा दरिया है 
जो आमंत्रित करता है हमें 
'आओ, खूब नहाओ, 
हंसी-खुशी की 
मौज-मस्ती की 
शंख-सीपियां 
जेबों में भरकर ले जाओ!

 
 
आओ, मुझमें डुबकी लगाओ, 
गोता लगाओ 
खूब नहाओ 
प्यार का मीठा पानी, 
हाथों में भरकर ले जाओ...!

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