दद्दू का दरबार : पाटीदार आरक्षण

एमके सांघी
प्रश्न : दद्दू जी, गुजरात चुनाव के साये में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस के साथ बैठ कर पाटीदारों के लिए आरक्षण फार्मूले की सम्भावनाएं टटोल रहे हैं और चुनावी स्थिति का लाभ उठाने के लिए अपने तईं राजनीतिक फायदे तलाश रहे हैं। गुजरात की जनता जानती है कि यह एक नौटंकी से अधिक कुछ नहीं है। आज की स्थिति में स्पष्ट तौर पर आरक्षण संभव ही नहीं है। इसके लिए संविधान को ही बदलना होगा और केंद्र की सरकार को लोकसभा तथा राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। आपके मत में पाटीदार समाज को क्या करना चाहिए? 
 
उत्तर: देखिए आपकी यह बात सोलह आने सच है कि आज की स्थिति में स्पष्ट तौर पर पाटीदारों के लिए आरक्षण संभव ही नहीं है। हार्दिक शुरू से ही गलत ट्रेक पर चल रहे हैं। वे उस चीज के लिए मचल रहे हैं जिसे देना सम्भव नहीं है। दरअसल पाटीदारों (साथ ही अन्य सवर्ण जातियों) का स्टेण्ड यह होना चाहिए था कि चलिए आप दलित व पिछड़ी जातियों को आरक्षण देना चाहते हैं, दीजिए। वैसे भी नौकरी करना हमारा काम नहीं। हम तो धंदा-पानी करने वाले लोग हैं। हमारे उच्च शिक्षित युवा यदि सरकारी नौकरी नहीं पा सकते तो चलिए बताइए उन्हें व्यापार करके फलने-फूलने के लिए आप क्या दे सकते हैं। आप उन्हें ब्याज रहित लोन दें, उद्योग लगाने के लिए एक विंडो पर सारी मंजूरी व जगह दें, व्यापार की सारी अड़चनें दूर करें, टेक्स में छूट दें, आदि। और हां ये सारी सुविधाएं उन जातियों के युवाओं को नहीं मिलनी चाहिए जिन्हें आरक्षण की पात्रता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

बॉलीवुड हलचल

जब सलमान खान ने जला दी थी पिता की सैलरी, फिर यूं सिखाया था सलीम खान ने सबक...

अनटाइटल्ड फिल्म के अगले शेड्यूल को शुरू करने से पहले आशीर्वाद लेने गोल्डन टेंपल पहुंचे रणवीर सिंह और आदित्य धर

तलाक के बाद मोहिनी डे के साथ नाम जोड़ने वालो के खिलाफ एआर रहमान ने उठाया सख्त कदम, भेजा लीगल नोटिस

मौनी रॉय को इंडस्ट्री में छह साल हुए पूरे, एक्ट्रेस ने अपने करियर के बारे में की बात

कांटा लगा गाने के लिए शेफाली जरीवाला को मिले थे इतने रुपए, रातोंरात बन गई थीं स्टार

सभी देखें

जरूर पढ़ें

भूल भुलैया 3 मूवी रिव्यू: हॉरर और कॉमेडी का तड़का, मनोरंजन से दूर भटका

सिंघम अगेन फिल्म समीक्षा: क्या अजय देवगन और रोहित शेट्टी की यह मूवी देखने लायक है?

विक्की विद्या का वो वाला वीडियो फिल्म समीक्षा: टाइटल जितनी नॉटी और फनी नहीं

जिगरा फिल्म समीक्षा: हजारों में एक वाली बहना

Devara part 1 review: जूनियर एनटीआर की फिल्म पर बाहुबली का प्रभाव

अगला लेख