दद्दू का दरबार : शरद पूर्णिमा की खीर...

एमके सांघी
प्रश्न : दद्दूजी, जरा बताइए तो भ्रष्टाचार की खीर और शरद पूर्णिमा की खीर में क्या अंतर  है? 
 
उत्तर : बहुत अंतर है। शरद पूर्णिमा की खीर को चन्द्रमा की धवल रोशनी तले खुले में  रखा जाता है। जब पूनम के चांद की जादुई किरणों से खीर अभिमंत्रित हो जाती है तो  मिल-बांटकर उसका सेवन किया जाता है और सबको प्रसाद स्वरूप दिया जाता है। भ्रष्टाचार  की खीर को गैरकानूनी होने के कारण दूसरों से दबा-छुपाकर रखा जाता है ताकि किसी को  भनक नहीं लग पाए। पूरी कोशिश की जाती है कि इस खीर के कम से कम दावेदार हों।  मन में अक्सर इस खीर को अकेले ही हड़प कर जाने की प्रवृत्ति होती है। अक्सर यह खीर  उसे बनाने वाले के ही हाथ नहीं लगती है। इस खीर को बनाने-पकाने वाला इसकी साज- संभाल में ही जिंदगी गुजार देता है, कभी-कभी जेल तक 'चला' जाता है। अंतत: इसके मजे  कोई और लेता है। 

शरद पूर्णिमा की खीर व्यक्ति को रोगमुक्त करती है। भ्रष्टाचार की खीर तन व मन को रोगग्रस्त करती है।

 

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