ganesh chaturthi chandra darshan dosh nivaran mantra: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेशजी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाते हैं और 10 दिवसीय गणेश उत्सव का आयोजन करते हैं। घरों में कुछ लोग डेढ़ दिन, कुछ तीन दिन, कुछ 5 दिन और अधिकतर 10 दिनों तक गणेशजी की स्थापना करने के बाद विसर्जन करते हैं। इस दिन चंद्र दर्शन या चंद्रमा को देखने से चंद्र दोष लगता है। मान्यता के अनुसार चोरी का इल्जाम लग सकता है। ऐसे में यदि आपने गलती से भी चांद देख लिया है तो उसका निवारण किया जा सकता है। जानिए 26 अगस्त 2025 को चंद्रमा कब नहीं निकलेगा।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 26 अगस्त 2025 को दोपहर 01:54 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 27 अगस्त 2025 को दोपहर 03:44 बजे तक।
उपरोक्त तिथि समय अनुसार 26 अगस्त का चंद्र दर्शन वर्जित माना गया है। वर्जित अर्थात इसे न देखें।
26 और 27 अगस्त 2025 चंद्रमा उदय का समय:
चंद्रोदय: प्रात: 08:33 से और चंद्रास्त रात्रि 08:29 को।
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- दोपहर 01:54 से रात्रि 08:29 तक।
इसके बाद 27 अगस्त को चंद्रमा का उदय प्रात: 09:29 पर होगा और अस्त रात्रि 08:57 पर होगा।
स्थानीय समयानुसार 1 से 3 मिनट का घटबढ़ रहेगा।
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन मान्यता: ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्र के दर्शन करने से झूठा दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है। इसके कारण से चंद्र दर्शन करने वाले को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है। चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिए वर्जित हो सकता है।
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन पौराणिक कथा: पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नामक मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष लगा है। नारद जी के परामर्श से भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखा और तब उन्हें भान हुआ की मणि कहां हो सकती है। इसके बाद इस मिथ्या दोष से वे मुक्त हो गए।
गणेश चतुर्थी चंद्र दर्शन मिथ्या चंद्र दोष निवारण मन्त्र:
अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचाव के लिए निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिए-
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
श्री कृष्ण ने स्यमन्तक मणि को ढूंढा जो जंगल में जिसकी मणि थी उसके भाई के हाथों खो गई थी। उस मणि को एक सिंह उठाकर ले गया था। सिंह से जामवंत की पुत्री को वह मणि मिली। उस मणि को प्राप्त करने के लिए श्रीकृष्ण का जामवंतजी से युद्ध हुआ तब जाकर वह मणि मिली।