गणेश-पूजन में फूलों का महत्व

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प्रस्तुति :पं. सुमित भालके (श्याम)
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गणेशजी को तुलसी छोड़कर सभी पत्र-पुष्प प्रिय हैं! गणपतिजी को दूर्वा अधिक प्रिय है। अतः सफेद या हरी दूर्वा चढ़ाना चाहिए। दूर्वा की फुनगी में तीन या पाँच पत्ती होना चाहिए। गणेशजी पर तुलसी कभी न चढ़ाएँ।

पद्मपुराण, आचार रत्न में लिखा है कि 'न तुलस्या गणाधिपम्‌' अर्थात तुलसी से गणेशजी की पूजा कभी न की जाए। कार्तिक माहात्म्य में भी कहा है कि 'गणेश तुलसी पत्र दुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात गणेशजी की तुलसी पत्र और दुर्गाजी की दूर्वा से पूजा न करें।

भगवान शंकर पर फूल चढ़ाने का बहुत अधिक महत्व है। तपः शील सर्वगुण संपन्न वेद में निष्णात किसी ब्राह्मण को सौ सुवर्ण दान करने पर जो फल प्राप्त होता है, वह शिव पर सौ फूल चढ़ा देने से प्राप्त हो जाता है।

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भगवान विष्णु के लिए जो-जो पत्र-पुष्प बताए गए हैं, वे सब भगवान शिव को भी प्रिय हैं। केवल केतकी (केवड़े) का निषेध है। शास्त्रों ने कुछ फूलों के चढ़ाने से मिलने वाले फल का तारतम्य बतलाया है।

जैसे दस सुवर्ण दान का फल एक आक के फूल को चढ़ाने से मिलता है, उसी प्रकार हजार आक के फूलों का फल एक कनेर से और हजार कनेर के बराबर एक बिल्व पत्र से मिलता है। समस्त फूलों में सबसे बढ़कर नीलकमल होता है।

भगवान गणेश को गुड़हल का लाल फूल विशेष रूप से प्रिय होता है। इसके अलावा चाँदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला बनाकर पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं।

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