श्रीगणेश पौराणिक कथा-1

- प्रस्तुति शतायु

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भगवान गणेश के संबंध में यूँ तो कई कथाएँ प्रचलित है किंतु उनके गजानन गणेश कहलाने और सर्वप्रथम पूज्य होने के संबंध में जग प्रसिद्ध कथा यहाँ प्रस्तुत है।

पौराणिक कथा : एक समय जब माता पार्वती मानसरोवर में स्नान कर रही थी तब उन्होंने स्नान स्थल पर कोई आ न सके इस हेतु अपनी माया से गणेश को जन्म देकर 'बाल गणेश' को पहरा देने के लिए नियुक्त कर दिया।

इसी दौरान भगवान शिव उधर आ जाते हैं। गणेशजी उन्हें रोक कर कहते हैं कि आप उधर नहीं जा सकते हैं। यह सुनकर भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं और गणेश जी को रास्ते से हटने का कहते हैं किंतु गणेश जी अड़े रहते हैं तब दोनों में युद्ध हो जाता है। युद्ध के दौरान क्रोधित होकर शिवजी बाल गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते हैं।

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शिव के इस कृत्य का जब पार्वती को पता चलता है तो वे विलाप और क्रोध से प्रलय का सृजन करते हुए कहती है कि तुमने मेरे पुत्र को मार डाला। माता का रौद्र रूप देख शिव एक हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर गणेश जी को पुन: जीवित कर देते हैं। तभी से भगवान गणेश को गजानन गणेश कहा जाने लगा।

- स्कंद पुराण

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