जानिए गजानन गौरीनंदन श्री गणेश की‍ खास बातें

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भगवान गणपति का पूजन किए बगैर कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता। विघ्न हरण करने वाले देवता के रूप में पूज्य गणेश जी सभी बाधाओं को दूर करने तथा मनोकामना को पूरा करने वाले देवता हैं।




श्री गणेश निष्कपटता, विवेकशीलता एवं निष्कलंकता प्रदान करने वाले देवता हैं। उनके ध्यान मात्र से व्यक्ति उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होता है। गणपति विवेकशीलता के परिचायक है।


* गणपति का वर्ण लाल है; उनकी पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल व रक्त चंदन का प्रयोग किया जाता है।



* हाथी के कान हैं सूपा। जैसे- सूपा का धर्म है 'सार-सार को गहि लिए और थोथा देही उड़ाय' सूपा सिर्फ अनाज रखता है।


* हमें कान का कच्चा नहीं सच्चा होना चाहिए। कान से सुनें सभी की, लेकिन उतारें अंतर में सत्य को।



* आंखें सूक्ष्म हैं जो जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं।


* नाक यानी सूंड बड़ी यह बताती है कि दुर्गंध (विपदा) को दूर से ही पहचान सकें।

* गणेशजी के दो दांत हैं एक अखण्ड और दूसरा खण्डित।


- अखण्ड दांत श्रद्धा का प्रतीक है यानी श्रद्धा हमेशा बनाए रखना चाहिए।

- खण्डित दांत है बुद्धि का प्रतीक, इसका तात्पर्य एक बार बुद्धि भ्रमित हो, लेकिन श्रद्धा न डगमगाए।

गणेश के आयुध औश्र प्रतीकों से अंकुश हैं : वह जो आनंद व विद्या की प्राप्ति में बाधक शक्तियों का नाश करता है।



* कमर से लिपटा नाग अर्थात् : विश्व कुंडलिनी

* लिपटे हुए नाग का फण अर्थात् : जागृत कुंडलिनी

* मूषक अर्थातः रजोगुण। मूषक, अर्थात्‌ रजोगुण, गणपति के नियंत्रण में है


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