कौन है श्री गणेश का वाहन मूषक, जानिए 2 रोचक कथा

Webdunia
भगवान गणेश की शारीरिक बनावट के मुकाबले उनका वाहन छोटा सा चूहा है। गणेश जी ने आखिर छोटे से जीव को ही अपना वाहन क्यों चुना? उनकी ध्वजा पर भी मूषक विराजमान है। 
 
गणेश जी बुद्धि और विद्या के अधिष्ठाता देवता हैं। तर्क-वितर्क में उनका सानी कोई नहीं। एक-एक बात या समस्या की तह में जाना,उसकी मीमांसा करना और उसके निष्कर्ष तक पहुंचना उनका शौक है। मूषक भी तर्क-वितर्क में पीछे नहीं हैं। हर वस्तु को काट-छांट कर रख देता है और उतना ही फुर्तीला भी है। जागरूक रहने का संदेश देता है। 
 
गणेश जी ने कदाचित चूहे के इन्हीं गुणों को देखते हुए उसे अपना वाहन चुना होगा। वास्तव में भगवान गणेश के वाहन मूषक के बारे में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। 
 
कथा 1 : गजमुखासुर नामक दैत्य ने अपने बाहुबल से देवताओं को बहुत परेशान कर दिया। सभी देवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास पहुंचे। तब भगवान श्रीगणेश ने उन्हें गजमुखासुर से मुक्ति दिलाने का भरोसा दिलाया। 
 
तब श्रीगणेश का गजमुखासुर दैत्य से भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में श्रीगणेश का एक दांत टूट गया। तब क्रोधित होकर श्रीगणेश ने टूटे दांत से गजमुखासुर पर ऐसा प्रहार किया कि वह घबराकर चूहा बनकर भागा लेकिन गणेशजी ने उसे पकड़ लिया। मृत्यु के भय से वह क्षमायाचना करने लगा। तब श्रीगणेश ने मूषक रूप में ही उसे अपना वाहन बना लिया।

ALSO READ: श्री गणेश क्यों कहलाए एकदंत, पढ़ें रोचक कथा
 
कथा 2 : राजा इन्द्र के दरबार में क्रौंच नामक गंधर्व था। एक बार इंद्र किसी गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे थे लेकिन क्रौंच किसी और ही मूड में था। वह अप्सराओं से हंसी ठिठोली कर रहा था। इंद्र का ध्यान उस पर गया तो नाराज इंद्र ने उसे चूहा बन जाने का शाप दे दिया। क्रौंच का चंचल स्वभाव तो बदलने से रहा।  एक बलवान मूषक के रूप में वह सीधे ने पराशर ऋषि के आश्रम में आ गिरा। आते ही उसने भयंकर उत्पात मचा दिया, आश्रम के सारे मिट्टी के पात्र तोड़कर सारा अन्न समाप्त कर दिया, आश्रम की वाटिका उजाड़ डाली, ऋषियों के समस्त वल्कल वस्त्र और ग्रंथ कुतर दिए। आश्रम की सभी उपयोगी वस्तुएं नष्ट हो जाने के कारण पराशर ऋषि बहुत दुखी हुए और अपने पूर्व जन्म के कर्मों को कोसने लगे कि किस अपकर्म के फलस्वरूप मेरे आश्रम की शांति भंग हो गई है। अब इस चूहे के आतंक से कैसे निजात मिले? 

ALSO READ: चौंकाने वाला पौराणिक तथ्य, मां लक्ष्मी से यह रिश्ता है श्री गणेश का
 
पराशर ऋषि श्री गणेश की शरण में गए। तब गणेश जी ने पराशर जी को कहा कि मैं अभी इस मूषक को अपना वाहन बना लेता हूं। गणेश जी ने अपना तेजस्वी पाश फेंका, पाश उस मूषक का पीछा करता पाताल तक गया और उसका कंठ बांध लिया और उसे घसीट कर बाहर निकाल गजानन के सम्मुख उपस्थित कर दिया। पाश की पकड़ से मूषक मूर्छित हो गया। मूर्छा खुलते ही मूषक ने गणेश जी की आराधना शुरू कर दी और अपने प्राणों की भीख मांगने लगा। 
 
गणेश जी मूषक की स्तुति से प्रसन्न तो हुए लेकिन उससे कहा कि तूने ब्राह्मणों को बहुत कष्ट दिया है। मैंने दुष्टों के नाश एवं साधु पुरुषों के कल्याण के लिए ही अवतार लिया है, लेकिन शरणागत की रक्षा भी मेरा परम धर्म है, इसलिए जो वरदान चाहो मांग लो। 
 
ऐसा सुनकर उस उत्पाती मूषक का अहंकार जाग उठा, बोला, ‘मुझे आपसे कुछ नहीं मांगना है, आप चाहें तो मुझसे वर की याचना कर सकते हैं।’ मूषक की गर्व भरी वाणी सुनकर गणेश जी मन ही मन मुस्कराए और कहा, ‘यदि तेरा वचन सत्य है तो तू मेरा वाहन बन जा। 
 
मूषक के तथास्तु कहते ही गणेश जी तुरंत उस पर आरूढ़ हो गए। अब भारी भरकम गजानन के भार से दबकर मूषक को प्राणों का संकट बन आया। तब उसने गजानन से प्रार्थना की कि वे अपना भार उसके वहन करने योग्य बना लें। इस तरह मूषक का गर्व चूर कर गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया। यही  मूषक श्री गणेश का प्रिय वाहन बना। 

ALSO READ: गणेश चतुर्थी पर करें दुर्लभ वनस्पति श्वेतार्क की पूजा, देखें चमत्कार

सम्बंधित जानकारी

Show comments

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Vastu Tips : घर बनाने जा रहे हैं तो जानें कि कितना बड़ा या किस आकार का होना चाहिए

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Politicians zodiac signs: राजनीति में कौनसी राशि के लोग हो सकते हैं सफल?

वैशाख मास में दान देने का है खास महत्व, जानें किन चीज़ों का करते हैं दान

Sankashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा

Aaj Ka Rashifal: इन 3 राशियों के रुके कार्य होंगे पूरे, जानें बाकी राशियों के लिए कैसा रहेगा 27 अप्रैल का दिन

कुंडली मिलान में नाड़ी मिलान क्यों करते हैं?

27 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

27 अप्रैल 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख