आजम खां ने अपने पत्र में चुनाव आयोग द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों की सफाई दी गई है और उन्होंने लिखा है कि संवैधानिक संस्थाएं भी अगर कमजोरों का दर्द बयान करने से रोक देंगी और जुबांबंदी कर दी जाएगी तो इसके नतीजे अच्छे नही होंगे। आज मेरी जुबांबंदी की गई है, कल किसी और की, की जाएगी और वह दिन दूर नहीं, जब कमजोर की वकालत करने वाली कोई जुबान नहीं छोड़ी जाएगी।
आजम खां लिखते हैं कि अभी मुझ पर जुबांबंदी का ताला है, लेकिन मेरी रगों में दौड़ने वाले लहू, सोचने-समझने की सलाहियत और चलने-फिरने के मेरे अधिकार पर किसी का पहरा नहीं है। मैं जानता हूं कि कांग्रेस कुछ भी करा सकती है और साथ ही फासिस्ट ताकतें मेरी बर्बादी के लिए किसी हद तक जा सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि आजम के विरुद्ध अब तक बिजनौर जिले में 2, गाजियाबाद, रामपुर, संभल और शामली में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन तथा भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 1-1 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
चुनाव आयोग ने 11 अप्रैल को आजम खां पर सार्वजनिक सभाओं में भाषण देने, जुलूस अथवा रोड शो निकालने पर प्रतिबंध लगाते हुए भड़काऊ भाषण के मामले में आपराधिक मुकदमे दर्ज करने के आदेश दिए थे।
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