इस मासूम सवाल के ऐसे-ऐसे भोले जवाब मिले हैं कि तबीयत साफ हो गई। साथ ही यह भी पता चला कि सर्वे करना निहायत दिलचस्प काम है। एक साहब से जब पूछा कि भाई मोदी की सभा कहा हैं, तो पूछने लगे कि आपको एड्रेस कहां का दिया है। एक ने कहा नेहरू नगर में है, चाइल्ड पब्लिक स्कूल के पास (जबकि असल में सभा है इंदिरापुरम में शिप्रा मॉल के पास)। एक साहब ने कहा कि भाई इनके ऑफिस में जाकर पूछ लीजिए। एक ने कहा चौक की तरफ कहीं होगी, वहीं जाकर देख लो। एक ने फरमाया कि वो तो कल थी। एक साहब ने बिल्कुल सही बताया कि इंदिरापुरम में है। जब उनसे पूछा कि आप जाओगे, तो कहने लगे कि अब तक तो हो चुकी होगी। यानी उन्हें जगह तो सही पता थी, मगर यह मालूम नहीं था कि सभा है कब। एक और ने बताया कि कविनगर में है।
कुल सौ लोगों से पूछा। चौरासी को नहीं मालूम था कि कहीं मोदी की सभा है। अठारह उन्नीस साल के एक लड़के ने कहा कि मैं तो यह नाम ही पहली बार सुन रहा हूं, कौन है ये? तेरह लोगों ने उल्टे सीधे जवाब दिए। सौ में से कुल तीन को सही पता था कि मोदी की सभा कब है और कहां है। मगर इन तीन लोगों में से एक का भी सभा में जाना पक्का नही था। एक ड्राइवर ने कहा कि मैं जाऊंगा। उससे पूछा कि तुम जाओगे तो फिर साहब की गाड़ी कौन चलाएगा। कहने लगा साहब जाएंगे तो जाऊंगा। अब ऐसे आदमी की क्या वफादारी, जो केवल वहीं जा सकता है, जहां साहब जाएं? बकाया दो ने कहा कि हमारा जाना पक्का नहीं है।
जिस जगह सर्वे किया गया, वो गाज़ियाबाद का व्यापारिक और पढ़ा-लिखा सा इलाका है। इतना ध्यान रखा गया कि किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता से कोई सवाल नहीं पूछा गया। सबके सब चलते रस्ते आम आदमी। उम्र भी अठारह से लेकर पचपन-साठ तक।
यानी आम आदमी को मोदी और उनकी सभा से कोई मतलब नहीं। सभा में जाना तो दूर की बात है, उसे सभा की खबर तक नहीं। सवाल यह उठता है कि फिर जो सभा में हजारों की भीड़ दिखाई देगी, वो लोग कौन होंगे? वो लोग कौन होते हैं? इतना तय है कि लोग इस बार मोदी के कारण, टीवी पर उनके कवरेज और उनके विज्ञापनों के कारण भाजपा को ज्यादा वोट देंगे। मगर यदि कोई कहता है कि लहर है, तो इसका मतलब है कि उसे पता नहीं लहर किसे कहते हैं। इंदिरा लहर, राजीव लहर, जयप्रकाश लहर से वे अनजान हैं। कांग्रेस से दुखी लोग, विकल्पहीन लोग जरूर मोदी को वोट देंगे। मगर मुमकिन है मोदी लहर स्वीमिग पूल में उठाई जाने वाली लहर जैसी कोई चीज़ हो ।