स्थानीय भाजपा के सामने मुश्किल यह है कि मोदी के नामांकन जुलूस में उन्हें इससे ज्यादा भीड़ जुटानी होगी, जिसमें वे कुशल हैं और जुटा भी लेंगे, मगर अजय राय के समर्थकों वाला जोश वे शायद नहीं ला पाएंगे। भाजपा में तो खैर संगठन होता है। कांग्रेस में उम्मीदवार खुद ही वो दूल्हा होता है, जिसे मेहमान बुलाना भी पड़ते हैं और उनकी देखभाल भी करनी पड़ती है। सो ये सारे लोग अजय राय से निजी ताल्लुकात की बिना पर आए थे। सबमें ही एक जोश यह था कि हमारा नेता मोदी के खिलाफ लड़ रहा है। मंच से भी यही कहा गया कि मुरली मनोहर जोशी को आपने जिता कर देख लिया, क्या हुआ? मोदी भी जीत कर चले जाएंगे....(एक वक्ता ने कहा - जिसे देखो वो ही सूटकेस टांगे मुंह उठाए चला आता है, क्या काशी के लोग मर गए हैं?)
अपने ही लोगों को ख़त्म कर देती है भाजपा-अजय राय जुलूस में केंद्रीय मंत्री रहे आनंद शर्मा और राज बब्बर भी थे। कुछ लोग इन्हें देखने-सुनने आए थे। बनारस के 'छोटी कटिंग मैदान' में बड़ी सभा हुई यानी अजय राय जुलूस के साथ यहां तक आए और फिर लोगों को सभा में छोड़कर खुद नामांकन भरने चले गए। धूप इतनी तेज़ थी और मंच पर भीड़ इतनी ज्यादा थी कि ठीक से सभा हो ही नहीं पाई। जो देख पा रहे थे, सुन नहीं पा रहे थे और जिन्हें आवाज़ आ रही थी, उन्हें चौखटे नहीं दिख रहे थे। कुछ देर बाद धूप से घबरा कर राज बब्बर उठे और उनके साथ मजमा भी उठ गया।
राज बब्बर पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए तो उन्हें वहां घेर लिया गया। मंच खाली हो गया और माइक लावारिस। किसी पैरोडीबाज ने पैरोडी गुनगुनाई - तुम अगरअअ वोओओओट देने का वाआआदा करो, मैं तो भाआरत से नफरत मिटाता रहूं...। बाद में एक अधपगला चढ़कर भाषण देने लगा। इंदिरा गांधी के जमाने का ये कांग्रेसी जोश में था और इसने भी नारा दिया - इंदिरा जी की अंतिम इच्छा, बूंद-बूंद (पढ़िये वोट-वोट) से देश की रक्षा...। कुल मिलाकर अजय राय के इस जुलूस ने भाजपा की घबराहट बढ़ा दी है।