मालूम यह पड़ा कि सीनियर सिटीज़न के नाम पर यह मीटिंग जाटों को गोलबंद करने की है और भूपालसिंह और कुछ नहीं जाट हैं। जाट वोट मेरठ में एक लाख हैं। कुछ देर की मीटिंग में यह देखा कि एक साहब शिकायत कर रहे हैं - ''उस दिन मैंने हाथ हिलाया, आपको कितना रोका, आप रुकी ही नहीं।''
'' रुकती कैसे, हमारे सब सबके कपड़े फाड़ दिये थे लोगों ने, फिर आपके पास भी बहुत भीड़ थी, न जाने क्या होता।'' नग़मा ने जो जवाब दिया, उसे सुनकर पास बैठी महिलाएं झेंपी, कुछ मर्दों ने नज़र नीची कर ली, कुछ मुंह घुमा कर मुस्करा दिए। अगली मीटिंग की बात चली तो नग़मा ने कहा कि मंच के पीछे से मंच पर जाने का रास्ता होना चाहिए। भीड़ के बीच से होकर मैं मंच पर नहीं जाऊंगी।
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जैसलमेर राजघराने से ताल्लकु है नगमा का... पढ़ें अगले पेज पर...