मोदी, राजनाथ के 'कॉमन एनिमी' हैं आडवाणी

-रामदत्त त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार

Webdunia
WD
लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष राजनाथसिंह के 'कॉमन एनिमी' हैं। राजनाथसिंह भी पीएम बनना चाहते हैं और वे भी आडवाणी को खतरा मानते हैं। इसीलिए आडवाणी के मुद्दे पर दोनों एक हैं। पहले दोनों गडकरी के मामले में एक हुए थे। हालांकि लखनऊ का मुकाबला राजनाथसिंह के लिए आसान नहीं है।

मेरा मानना है कि वाजपेयी और राजनाथ के व्यक्तित्व में फर्क है। वाजपेयी स्थानीय थे, घर-घर उनका संपर्क था। वो सबको साथ लेकर चलते थे। वो थे तो संघ की विचारधारा वाले लेकिन बाकी लोगों से भी उनका लंबा तालमेल रहा। वे कवि भी थे। 1963 में भी जो सरकार बनी, उसमें उनका रोल रहा, जनता सरकार बनी उसमें भी उनका रोल रहा। दूसरी बात यह कि वाजपेयी जब यहां से चुनाव जीते और प्रधानमंत्री बने, तब पांचों विधानसभा क्षेत्र से भाजपा जीतती थी। अब इस समय घटते-घटते यह स्थिति आ गई कि भाजपा के पास केवल एक विधानसभा सीट है।

राजनाथसिंह को दिक्कत आ सकती है? दिक्कत तो है, उनको एडवांटेज भी है कि इस समय बड़ा तबका भाजपा समर्थक है। दूसरी ओर जो अनिश्चित मतदाता (फ्लोटिंग वोटर) है उसका कांग्रेस से मोह भंग है। यही तबका सरकार बनाता और बिगाड़ता है। ऐसा नहीं है कि यह वर्ग कांग्रेस के भ्रष्टाचार से नाराज है, भ्रष्टाचार तो भाजपा में भी है। बस, फिलहाल इस अनिश्चित मतदाता का कांग्रेस से पूरी तरह मोह भंग है। इसका रुख परिणाम को काफी हद तक प्रभावित करेगा। राजनाथ ने पार्टी में काट-छांट भी काफी की है, जिसका खामियाजा भी इन्हें भुगतना पड़ सकता है।

जहां तक ‍‍विकल्पहीनता का प्रश्न है तो यूपी में क्षेत्रीय विकल्प मौजूद हैं और लोग चुनते भी हैं। बसपा और सपा के जो समर्थक हैं, वे उनके साथ जा रहे हैं। दूसरी ओर मोदी लहर के चलते अनिश्चित वोटर और भाजपा का परंपरागत मतदाता एक हो गए हैं। इसके चलते उम्मीदवार बहुत ज्यादा मायने नहीं रख रहा।

मैं मानता हूं कि राजनाथसिंह को लेकर विश्वास का भाव नहीं है, जो मोदी को लेकर है क्योंकि उन्होंने लखनऊ में कुछ नहीं किया है। मुलायमसिंह को ही लो, उन्होंने लोहिया पार्क बनवाया, जहां हजारों लोग सुबह टहलने जाते हैं। लोहिया यूनिवर्सिटी, लोहिया अस्पताल आदि 4-6 बड़ी संस्थाएं उनके खाते में दर्ज है। हां, मायावती ने भी कुछ नहीं किया तो कम से कम स्मारक ही बना दिया। पर राजनाथसिंह ने कुछ नहीं किया। 'सोश्यल इक्वेशन' भी उनके पक्ष में नहीं हैं। वाजपेयी जी की पर्सनेलिटी के अलावा एक सोशल बेस भी था।

वाजपेयी को ब्राह्मणों के समर्थन के साथ बुद्धिजीवी वर्ग और कुछ शियाओं का समर्थन भी हासिल था। यहां चार-साढ़े चार लाख ब्राह्मण हैं और इतने ही मुसलमान हैं। मगर राजनाथसिंह ने काफी लोगों के टिकट काटे हैं साथ ही ब्राह्मण वर्ग के कुछ नेताओं को नाराज भी किया है। एक बड़ा कारण यह भी है कि सच्चिदानंद साक्षी को उन्नाव से टिकट दे दिया, उन्हें ब्राह्मण विरोधी माना जाता है। यही सबसे बड़ी चिंता की बात है। ब्राह्मणों में राजनाथ के खिलाफ अंडर करंट है। अब उसको वे कितना मैनेज कर पाएंगे ये देखने वाली बात है।

और जो लोग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ रहे हैं उससे खास फर्क पड़ने वाला नहीं है क्योंकि वे तो सब बिजनेसमैन हैं। नीरज वोहरा जैसे लोग तो अपने फायदे के लिए ही आ रहे हैं। जो बिजनेसमैन हैं उन्हें तो पाला बदलना ही है। दूसरी बात यह भी चल रही है कि मोदी को अगर कोई रोक सकता है तो वे राजनाथसिंह हैं। ऐसी भी चर्चा है कि मोदी की टीम भी नहीं चाहेगी कि राजनाथ चुनाव जीतें।

यूपी में भाजपा की सीटों को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन हैं, क्योंकि आमतौर पर होता यह है कि अगर एंटी इनकमबेंसी या जो नाराज वोटर है वह नंबर दो पार्टी में जाता है। जैसे सपा से नाराज हुआ तो बसपा में पोलराइज हो गया, तो बसपा निकल गई। बसपा से नाराज हुआ तो सपा में। भाजपा नंबर चार पार्टी है। जहां जीत-हार का मार्जिन एक लाख, 70 हजार या 50 हजार था वे सीटें तो निकलेंगी। मगर जहां इनकी जमानतें जब्त हुईं वहां 15-16 प्रतिशत में ये थे। वहां 15-16 से एकदम जंप कर जाएंगे ऐसा मुझे नहीं लगता।

दूसरा अल्पसंख्यक वर्ग इनके साथ नहीं है। पिछड़ा वर्ग भी लगता नहीं इनके साथ जाएगा। मायावती दलितों की बहुत बड़ी नेता हैं, लेकिन उत्तरप्रदेश के बाहर उनका कोई प्रभाव नहीं है। मेरा अभी तक का अंदाज है कि 25 सीटों के आसपास भाजपा को मिल सकती हैं। किसी बड़े नेता ने व्यक्तिगत बातचीत में मुझसे 32 सीटें मिलने की बात भी कही है। जहां तक मोदी के प्रधानमंत्री बनने का सवाल है तो अगर 272 से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन इससे कम आंकड़ा हुआ तो 'कुर्सी' राजनाथ के पास जा सकती है।

( रामदत्त त्रिपाठी से वेबदुनिया की बातचीत पर आधारित)


Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?