2 जुलाई को हुआ था शिमला समझौता, जानिए क्या है यह समझौता जिसे बार-बार तोड़ता है पाकिस्तान

Webdunia
- अथर्व पंवार
1971 तक पाकिस्तान के दो हिस्से थे, एक पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। इसी वर्ष के 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ। भारतीय सेना ने स्थानीय बंगालियों की मुक्ति वाहिनी सेना के साथ मिल कर एक नए देश का निर्माण किया। पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के नाम से पहचाना जाने लगा। इस युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई। इसी युद्ध का अंत 2 जुलाई 1972 को एक समझौते के माध्यम से हुआ। यह समझौता भारत की आयरन लेडी के रूप में पहचाने जाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन वजीरे आजम जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। चूंकि यह शिमला में आयोजित किया गया था तो इसे शिमला समझौते के रूप में जाना जाता है।
 
इस युद्ध में पाकिस्तान के पांच हजार वर्ग मील क्षेत्र पर भारत ने कब्जा कर लिया था और पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया था। भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। इसे भारत की जीत कहा जाता है। पाकिस्तानी जनरल नियाजी की आत्म-समर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की फोटो लगभग हर भारतीय ने देखी ही होगी।
 
शिमला समझौता
युद्ध के इस वातावरण में 28 जून से 2 जुलाई तक दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच शिमला में वार्ता हुई। इसमें दोनों देशों के प्रधानमंत्री शामिल रहे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की बेटी बेनजीर भुट्टो भी इस समझौते में मौजूद थी।
 
शिमला समझौते की मुख्य बातें -
1 इसमें पाकिस्तान ने वादा किया कि भारत से कश्मीर और सीमा सहित जितने भी विवाद है उन्हें चर्चा से शांतिपूर्वक सुलझाया जाएगा।
2 पाकिस्तान कोई भी विवाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं उठाएगा।
3 सभी प्रिजनर ऑफ वॉर (POW) की अदला बदली होगी।
4 दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनैतिक सम्बन्ध पुनः स्थापित किए जाएंगे।
5 कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LOC) स्थापित की जाएगी।
6 कोई भी देश एक-दूसरे के विरुद्ध बल का प्रयोग नहीं करेगा और झूठा प्रचार नहीं करेगा।
 
कई बार पाकिस्तान कर चूका है उल्लंघन -
पाकिस्तान को इस समझौते से कोई फर्क नहीं पड़ता। वह इसका कई बार उल्लंघन कर चूका है। वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ आवाज उठता है और भारत के सम्पूर्ण कश्मीर (गिलगित-बाल्टिस्तान सहित) पर अपना हक बताता है। इसी के साथ वह आतंकवादी गतिविधियों के साथ सीज फायरिंग के उल्लंघन में भी शामिल रहता है। चूंकि अब मानव घुसपैठ कठिन हो गई है तो वह ड्रोन के उपयोग से हथियार और नशीले पदार्थ भेजकर भारत का माहौल बिगड़ता है। पाकिस्तान ने सैनिकों की अदला-बदली में भी उस समय धोखा दिया था। कई भारतीय सैनिक 1971 जंग में वहां पकडे गए थे और उनका दुखद अंत वहां की जेलों में ही हुआ।
 
भारत के पास था कश्मीर लेने का मौका -
कई राजनैतिक विशेषज्ञ यह कहते हैं कि उस समय पाकिस्तान की हालत ऐसी थी कि भारत अपनी सभी शर्तें उससे मनवा सकता था। साथ ही भारतीय सेनाएं उस समय लाहौर तक पहुंच चुकी थी। ऐसे में उस समय यदि भारत समझौते में कश्मीर पर से पाकिस्तान का अनौपचारिक कब्जा हटाने का कहता तो पाकिस्तान वह मान लेता और कश्मीर की समस्या का अंत हो सकता था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

भारत के विभिन्न नोटों पर छपीं हैं देश की कौन सी धरोहरें, UNESCO विश्व धरोहर में हैं शामिल

लोहे जैसी मजबूत बॉडी के लिए इन 5 आयरन से भरपूर फूड्स को अभी करें अपनी डाइट में शामिल

क्या हमेशा मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खाना है सेहतमंद, जान लें ये जरूरी बात

7 चौंकाने वाले असर जो खाना स्किप करने से आपकी बॉडी पर पड़ते हैं, जानिए क्या कहती है हेल्थ साइंस

मानसून में डेंगू के खतरे से बचने के लिए आज ही अपना लें ये 5 आसान घरेलू उपाय

सभी देखें

नवीनतम

मंगलवार सुविचार: Tuesday Quotes in Hindi

डॉक्टर ने किया है ज्यादा पानी पीने से मना? खाएं ये 5 फूड्स जिनसे नहीं लगेगी बार-बार प्यास

सुबह खाली पेट भूलकर भी न खाएं ये 7 चीजें, बढ़ सकती है एसिडिटी और पाचन की परेशानी

बॉडी पर तिल क्यों निकलता है? जानिए इसके पीछे छुपे साइंटिफिक और स्किन से जुड़े राज

भारत के इन राज्यों में अल्पसंख्यक हैं हिंदू? जानिए देश के किस राज्य में सबसे कम है हिन्दू आबादी

अगला लेख