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2 ‍ अप्रैल को जब भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका को हराकर विश्वकप क्रिकेट में चैम्पियन होने का गौरव प्राप्त किया, तब टीम इंडिया के कप्तान धोनी को ट्रॉफी की प्रतिकृति दी गई थी क्योंकि असली ट्रॉफी मुंबई कस्टम के भंडारनगृह में रखी है। वहाँ रखने की वजह ये थी कि 60 लाख की कीमत वाली इस ट्रॉफी पर बनने वाली 22 लाख की कस्टम ड्‍यूटी नहीं चुकाई गई थी।

वैसे नियम ये है कि जब भी विश्वकप का आयोजन होता है तो समारोह में सार्वजनिक तौर पर असली कप या ट्रॉफी दी जाती है और कुछ समय बाद यह ट्रॉफी दोबारा अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघ के मुख्यालय पहुँचा दी जाती है। बदले में इसी ट्रॉफी की प्रतिकृति दी जाती है।

2 अप्रैल को सबसे बड़ी गलती ये रही कि आईसीसी की मूल ट्रॉफी को कस्टम ड्‍यूटी देकर नहीं छुड़वाया गया और उसके स्थान पर जो प्रतिकृति दी गई, जिस पर आईसीसी का लोगो नदारद था, जबकि मूल ट्रॉफी में ये लोगो नजर आ रहा था।

बहरहाल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भी स्वीकार किया है कि टीम इंडिया के पास जो ट्रॉफी है वो असली ट्रॉफी नहीं है। अधिकारिक रूप से यह नहीं बताया गया कि असली ट्रॉफी कब छुड़ाई जाएगी और कब खिलाड़ी इसे थामेंगे? इस पूरे मामले में आईसीसी दोषी है और दुर्भाग्य से आईसीसी के मुखिया शरद पवार ही है। ( वेबदुनिय न्यूज)

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