माताजी ऐसे होंगी प्रसन्न

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भारत ने धनी देशों को पर्यावरण के नाम पर संरक्षणवाद अपनाने के प्रति आगाह किया है। उसने खुद को ग्रीन हाउस गैसों के प्रमुख उत्सर्जक देशों में शामिल करने के प्रयासों का विरोध भी किया है। पर्यावरण पर प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम शरण ने कहा कि भारत को प्रमुख उत्सर्जक देशों के साथ रखने के प्रयास गलत हैं।

वॉशिंगटन स्थित संगठन कारनेगी इंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में सवालों के जवाब में सरन ने कहा कि हम नहीं मानते कि हम सबसे बड़े उत्सर्जक हैं।

उन्होंने कहा नवीनतम आँकड़े कहते हैं कि वैश्विक कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन में अमेरिका तथा चीन का हिस्सा लगभग 20 प्रतिशत है, वहीं एक अरब से अधिक की आबादी वाला भारत ऐसा केवल चार प्रतिशत उत्सर्जन करता है।

सरन ने कहा कि प्रति व्यक्ति कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन अमेरिका में 20 टन है, जबकि भारत में यह हिस्सा 1.8 टन प्रति व्यक्ति है।

इससे पहले अमेरिका के उद्यमियों को संबोधित करते हुए सरन ने नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिका का सहयोग माँगा, ताकि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना किया जा सके। यह बैठक यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल ने आयोजित की थी।

सरन ने कहा कि ओबामा प्रशासन अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वच्छ और नवीनीकृत ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है तथा ऐसे समय में भारत एवं अमेरिका में सहयोग जरूरी है, ताकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटा जा सके।

सरन ने कहा कि दुनिया ऊर्जा क्रांति के मुहाने पर है और यह स्पष्ट हो रहा है कि जैव ईंधन के तीव्र क्षरण के बीच वैश्विक विशेषकर भारत एवं चीन में विकास की मौजूदा धारणा को जारी नहीं रखा जा सकता।

वॉशिंगटन की चार दिवसीय यात्रा पर आए सरन ने इससे पहले सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जान केरी से भेंट की। कुछ सप्ताह में केरी का सीनेट में विधेयक पेश करने का कार्यक्रम है, ताकि पाकिस्तान की असैनिक सहायता तीन गुना की जा सके।

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