गुड़ी पड़वा के दिन 136 देव का पूजन करें, जानिए कैसे

Webdunia
गुड़ी पड़वा के दिन 136 देवों को प्रसन्न किया जा सकता है। शास्त्रों में उनके मंत्र दिए गए हैं। पढ़ें विस्तार से... 
 
इस दिन प्रातः नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर स्वच्छ या नए (सामर्थ्यानुसार) वस्त्राभूषण धारण करें।
 
इसके बाद हाथ में गंध, पुष्प, अक्षत तथा जल लेकर संकल्प करें।
 
स्वच्छ एवं गंगा जल से पवित्र की गई चौकी या बालू की वेदी पर नया सफेद वस्त्र (कोरा) बिछाएं।
 
हल्दी या केसर से रंगे हुए अक्षत (चावल) का एक अष्टदल (आठ दलों वाला) कमल बनाएं।      
 
इसके पश्चात पूरा नारियल लें अथवा संवत्सर ब्रह्मा की स्वर्ण-प्रतिमा स्थापित करें।
 
'ॐ ब्रह्मणे नमः' से ब्रह्माजी का पूजन आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन, ताम्बूल, नीरांजन, नमस्कार, पुष्पांजलि और प्रार्थना आदि से करें।
 
इसके बाद इसी प्रकार 1 कालाय, 2 निमेषाय, 3 त्रुट्यै, 4 लवाय, 5 क्षणाय, 6 काष्ठायै, 7 कलायै, 8 सुषुम्णायै, 9 नाडिकायै, 10 मुहूर्ताय, 11 निशाभ्यः, 12 पुण्यदिवसेभ्यः, 13 पक्षाभ्याम्‌, 14 मासेभ्यः, 15 षड्ऋतुभ्यः, 16 अयनाभ्याम्‌, 17 संवत्सरपरिवत्स- रेडावत्सरानुवत्सरवत्सरेभ्यः, 18 कृतयुगादिभ्यः, 19 नवग्रहेभ्यः, 20 अष्टाविंशतियोगेभ्यः, 21 द्वादशराशिभ्यः, 22 करणेभ्यः, 23 व्यतीपातेभ्यः, 24 प्रतिवर्षाधिपेभ्यः, 25 विज्ञातेभ्यः, 26 सानुयात्रकुलनागेभ्यः, 27 चतुर्दशमनुभ्यः, 28 पंचपुरन्दरेभ्यः, 29 दक्षकन्याभ्यः, 30 देव्यै, 31 सुभद्रायै, 32 जयायै, 33 भृगुशास्त्राय, 34 सर्वास्त्रजनकाय, 35 बहुपुत्रपत्नीसहिताय, 36 बृद्धयै, 37 ऋद्धयै, 38 निद्रायै, 39 धनदाय, 40 गुह्यकस्वामिने, 41 नलकूबरयक्षेभ्यः, 42 शंखपद्मनिधिभ्याम्‌, 43 भद्रकाल्यै, 44 सुरभ्यै, 45 वेदवेदान्तवेदांगविद्यासंस्थायिभ्यः, 46 नागयक्षसुपर्णेभ्यः, 47 गरुड़ाय, 48 अरुणाय, 49 सप्तद्वीपेभ्यः, 50 सप्तसमुद्रेभ्यः, 51 सागरेभ्यः, 52 उत्तरकुरुभ्यः, 53 ऐरावताय, 54 भद्राश्वकेतुमालाय, 55 इलावृताय, 56 हरिवर्षाय, 57 किम्पुरुषेभ्यः, 58 भारताय, 59 नवखण्डेभ्यः, 60 सप्तपातालेभ्यः, 61 सप्तनरकेभ्यः, 62 कालाग्रिरुद्रशेषेभ्यः, 63 हरये कोडरुपिणे, 64 सप्तलोकेभ्यः, 65 पंचमहाभूतेभ्यः, 66 तमसे, 67 तमःप्रकृत्यै, 68 रजसे, 69 रजःप्रकृत्यै, 70 प्रकृतये, 71 पुरुषाय, 72 अभिमानाय, 73 अव्यक्तमूर्तये, 74 हिमप्रमुखपर्वतेभ्यः, 75 पुराणेभ्यः, 76 गंगादिसप्तनदीभ्यः, 77 सप्तमुनिभ्यः, 78 पुष्करादितीर्थेभ्यः, 79 वितस्तादिनिम्रगाभ्यः, 80 चतुर्दशदीर्घाभ्यः, 81 धारिणीभ्यः, 82 धात्रीभ्यः, 83 विधात्रीभ्यः, 84 छन्दोभ्यः, 85 सुरभ्यैरावणाभ्याम्‌, 86 उच्चैःश्रवसे, 87 ध्रुवाय, 88 धन्वन्तरये, 89 शस्त्रास्राभ्याम्‌, 90 विनायककुमाराभ्याम्‌, 91 विघ्रेभ्यः, 92 शाखाय, 93 विशाखाय, 94 नैगमेयाय, 95 स्कन्दगृहेभ्यः, 96 स्कन्दमातृभ्यः, 97 ज्वरायः, रोगपतये, 98 भस्मप्रहरणाय, 99 ऋत्विग्‌भ्यः, 100 वालखिल्याय, 101 काश्यपाय, 102 अगस्तये, 103 नारदाय, 104 व्यासादिभ्यः, 105 अप्सरोभ्यः, 106 सोमपदेवेभ्यः, 107 असोमपदेवेभ्यः, 108 तुषितेभ्यः, 109 द्वादशादित्येभ्य, 110 सगणैकादशरुद्रेभ्यः, 111 दशपुण्येभ्यो विश वेदेवेभ्यः, 112 अष्टवसुभ्यः, 113 नवयोगिभ्यः, 114 द्वादशभृगुभ्यः, 115 द्वादशाडिगंरोभ्यः, 116 तपस्विभ्यः, 117 नासत्यदस्राभ्याम्‌, 118 अश्विभ्याम्‌, 119 द्वादशसाध्येभ्यः, 120 द्वादशपौराणेभ्यः, 121 एकोनपंचाशद्मरुद्गणेभ्यः, 122 शिल्पाचार्याय विश्वकर्मणे, 123 सायुधसवाहनेभ्योऽष्टलोकपालेभ्यः, 124 आयधेभ्यः, 125 वाहनेभ्यः, 126 वर्मभ्यः, 127 आसनेभ्यः, 128 दुन्दुभिभ्यः, 129 देवेभ्यः, 130 दैत्यराक्षसगंधर्वापिशाचेभ्यः, 131 सप्तभेदेभ्यः, 132 पितृभ्यः, 133 प्रेतेभ्यः, 134 सुसूक्ष्मदेवेभ्यः, 135 भावगम्येभ्यः और 136 बहुरुपाय विष्णवे परमात्मने नमः परमात्मविष्णुमावाहयामि स्थापयामि- इस प्रकार उपर्युक्त संपूर्ण देवताओं का पृथक्‌-पृथक्‌ अथवा एक यथाविधि पूजन करके निम्न मंत्र से प्रार्थना करें-
 
'भगवंतस्त्वत्प्रसादेन वर्षं क्षेममिहास्तु मे ।
संवत्सरोपसर्गा मे विलयं यान्त्वशेषतः ॥'
 
ओऽम्‌ भूर्भुवः स्वः संवत्सराधिपतिमावाहयामि पूजयामि मंत्र जपकर पूजन करें।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख