समृद्धि और सौभाग्य का वरदान देती है गुड़ी पड़वा

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
गुड़ी पड़वा : हिन्दू नववर्ष का पावन शुभारंभ  
 
हिन्दू वर्ष नववर्ष का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा से शुरू होता है। चैत्र महीने के पहले दिन नए साल के शुरूआत के रूप में गुड़ी पड़वा मनाते हैं। एक डंडे में पीतल का बर्तन उलटकर रखते हैं जिस पर सुबह की पहली किरण पड़ती है, गहरे रंग की रेशम की साड़ी, फूलों की माला से सजाया जाता है। आम पत्ता और नारियल से घर के बाहर रखा जाता है। 
 

 
यह वसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक होता है। यह अंग्रेजी माह मार्च-अप्रैल के महीने में आता है। महाराष्ट्रियनों के लिए गुड़ी पड़वा एक पवित्र दिन होता है। इस दिन विवाह, गृहप्रवेश या नए व्यापार का उद्घाटन के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन सोना, चांदी या संपत्ति खरीदी जाती है। इस साल मार्च की 21 तारीख के दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाएगा।

जब सूर्य अपने पूरे चरम पर होता है और किरणों के तेज से गर्मी इतनी बढ़ती है कि जैसे जाड़े को अपनी अगन से समाप्त कर देगी। यही वह समय होता है जब किसान की मेहनत स्वरूप फसल काटने के लिए पक कर तैयार हो जाती है। हवा में आम और कटहल की महक घुलने लगती है। पेड़ों पर बहार आ जाती है और उसकी महक पूरी हवा में फैल जाती है। गहरे रंग और गंध की धूम वसंत के आगमन के समय को संकेत करती है और मौसम अपनी पूरी संपदा प्रदान कर देता है।


 
त्योहार का आरंभ 
 
ब्रह्म पुराण के अनुसार, यही वह दिन है जब भगवान ब्रह्मा ने संसार की सृष्टि जलप्रलय के बाद की थी और सतयुग (सत्य और न्याय का युग) की शुरूआत हुई थी। गुड़ी पड़वा को लेकर एक दूसरी दंतकथा है कि भगवान राम ने अयोध्या विजय से लौटने के बाद राजा बाली को खत्म किया था। भगवान विष्णु ने भी इसी दिन कहा था कि वे मत्स्य के रूप में अवतार लेंगे।

गुड़ी पड़वा का महत्व 
 
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक हिन्दू तथा महाराष्ट्रियनों के घर के बाहर गुड़ी को देखा जाता है। गुड़ी की पूजा चंदन, हल्दी और सिंदूर से की जाती है। फिर आस-पास के लड़के और पुरूष एक साथ मिलकर पिरामिड बनाते हैं और कोई एक व्यक्ति पिरामिड के ऊपर नारियल को फोड़ता है जो कलश में रहता है।

 

महाराष्ट्रियनों के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज के मराठा सेना के विजय का प्रतीक गुड़ी है। गुड़ी घर में बुराई को रोकती है और समृद्धि और सौभाग्य का आगमन करती है। पड़वा शब्द संस्कृत के प्रदुर्भ या प्रतिपद से आया है जिसका मतलब चंद्रमा के महीने का पहला दिन है।

वसंत का आरंभ नए जीवन का ईश्वरीय प्रतीक है। युगादी धर्म और विज्ञान की मंजुरी है। प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ ने बहुत बड़ी गणना करके चैत्र सुगंध पद्दयामी या युगादी में सूर्य उदय के समय नए साल का आरंभ बताया था। यह चंद्रमा के उस दिन अपने कक्ष के बदलने के दृष्टांत पर आधारित है।

युगादी दो शब्दों के मेल युग (युग) और आदि (शुरूआत) से बना है। यह त्योहार होली से ही शुरू होता है। प्राचीन के खत्म होने की सूना देता है। भक्तगण इस दिन विशेष प्रार्थना करते हैं और मंदिर में दान देते हैं। लोग युगादी के पवित्र दिन नवीन की शुरूआत करना अच्छा मानते हैं। इस दिन कुछ लोग घर साफ करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। वे नए साल में समृद्धि की प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में भी जाते हैं। 

Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

Mavji maharaj : गुजरात के संत मावजी महाराज की 10 भविष्यवाणी

सोम प्रदोष व्रत आज, पूजन की सरल विधि, शुभ समय और कथा

Navpancham Yog: सूर्य और केतु ने बनाया बेहतरीन राजयोग, इन राशियों की किस्मत के सितारे बुलंदी पर रहेंगे

Aaj Ka Rashifal: 20 मई 2024 का दैनिक राशिफल, जानिए आज क्या कहती है आपकी राशि

20 मई 2024 : आपका जन्मदिन