मोदी सरकार के दूध-पोहे का बिल 12 हजार से ज्यादा

Webdunia
मंगलवार, 31 अक्टूबर 2017 (15:08 IST)
-हरेश चौकसी 
वर्ष 2005 में गुजरात की तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार कच्छ रणोत्सव में 12 हजार 270 रुपए के तो दूध और पोहे ही चट कर गई। 
 
यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि भाजपा के पूर्व मुख्‍यमंत्री सुरेश मेहता ने लगाया है। मेहता ने आरोप लगाया कि 2005 में कच्छ के रणोत्सव में तत्कालीन मोदी सरकार की तरफ से गलत बिल पेश किए गए। सिर्फ दूध और पोहे का बिल ही 12 हजार 270 रुपए का पेश किया गया। 
 
मेहता का आरोप है कि यह बिल चढ़ाकर पेश किया गया। उन्होंने कहा कि यह जानकारी आरटीआई में सामने आई है। मेहता ने कहा कि कच्छ में सफेद रण को टूरिस्ट डेस्टीनेशन के तौर पर प्रमोट करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में जिला प्रशासन की ओर से 2.55 करोड़ रुपए प्रायोजकों से एकत्रित किए थे। बाद में प्रायोजकों को छूट भी दी गई थी। 
 
जब मेहता से पूछा गया कि यह जानकारी इतने सालों बाद सामने लाने का क्या तुक है, इस पर उन्होंने कहा कि इतने साल से मैं सूचनाएं जुटा रहा था, इसलिए देर हुई। मेहता के आरापों पर भाजपा के प्रवक्ता ओर पूर्व कैबीनेट मंत्री जयनारायण व्यास ने कहा कि महेता किस आधार पर यह दावा कर रहे हैं यह तो दस्तावेज जाहिर होने के बाद ही पता चल सकता है। अत: फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया उचित नहीं है। 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

IAS Saumya Jha कौन हैं, जिन्होंने बताई नरेश मीणा 'थप्पड़कांड' की हकीकत, टीना टाबी से क्यों हो रही है तुलना

जानिए 52 करोड़ में क्यों बिका दीवार पर डक्ट-टेप से चिपका केला, यह है वजह

C वोटर के एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में किसने मारी बाजी, क्या फिर महायुति की सरकार

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

सभी देखें

नवीनतम

चुनाव रिजल्‍ट के एक दिन पहले सीएम हेमंत सोरेन के सिर में पत्‍नी कल्‍पना ने की चंपी, तस्‍वीरें हुईं वायरल

राहुल गांधी बोले, वायु प्रदूषण नेशनल इमरजेंसी, बर्बाद कर रही है जिंदगी

LIVE: आसाराम की याचिका पर SC ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब

पनडुब्बी से टकराया मछली पकड़ने वाला जहाज, नौसेना ने बचाई 11 की जान

महाराष्ट्र में पवार परिवार की पावर से बनेगी नई सरकार?

अगला लेख