श्री कृष्णम वंदे जगदगुरु : 14 विद्या और 64 कलाओं से परिपूर्ण श्री श्रीकृष्ण ही हैं सच्चे गुरु

अनिरुद्ध जोशी
अध्यात्म जगत में 14 विद्याएं और 64 कलाएं होती हैं जिसमें श्रीकृण पारंगत हैं। विद्या दो प्रकार की होती है परा और अपरा विद्या। इसी तरह कलाएं भी दो प्रकार की होती है। पहली सांसारिक कलाएं और दूसरी आध्यात्मिक कलाएं। भगवान श्रीकृष्‍ण सांसारिक और अध्यात्मिक दोनों ही तरह की विद्या और कलाओं में पारंगत थे।
 
ALSO READ: 14 विद्या और 16 कलाओं का रहस्यमयी ज्ञान, आप रह जाएंगे हैरान
1. श्रीकृष्‍ण के गुरु मानते थे उन्हें अपना गुरु : भगवान श्रीकृष्ण के सबसे पहले गुरु सांदीपनी थे। उनका आश्रम अवंतिका (उज्जैन) में था। देवताओं के ऋषि को सांदीपनि कहा जाता है। वे भगवान कृष्ण, बलराम और सुदामा के गुरु थे। उन्हीं के आश्रम में श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा और दीक्षा के साथ ही 64 कलाओं की शिक्षा ली थी। गुरु ने श्रीकृष्ण से दक्षिणा के रूप में अपने पुत्र को मांगा, जो शंखासुर राक्षस के कब्जे में था। भगवान ने उसे मुक्त कराकर गुरु को दक्षिणा भेंट की। इसके अलावा श्रीकृष्‍ण के गुरु नेमिनाथ, वेदव्यास, घोर अंगिरस, गर्ग मुनि और परशुराम भी थे। परंतु ये सभी श्रीकृष्‍ण को ही अपना गुरु मानते थे। भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य भी उनकी पूजा करते थे। 

2. पूर्णावतार : भगवान श्रीकृष्ण का भगवान होना ही उनकी शक्ति का स्रोत है। वे विष्णु के 10 अवतारों में से एक आठवें अवतार थे, जबकि 24 अवतारों में उनका नंबर 22वां था। उन्हें अपने अगले पिछले सभी जन्मों की याद थी। सभी अवतारों में उन्हें पूर्णावतार माना जाता है।
 
3. श्रीकृष्‍ण के शिष्य : अर्जुन सहित पांचों पांडवों को श्रीकृष्‍ण ने समय समय पर शिक्षा दी है। उन्होंने अर्जुन और उद्धव को गीता का ज्ञान दिया था। महाभारत में श्रीमद्भगवद गीता, अनु गीता और उद्धव गीता नाम से प्रसिद्ध गीताएं श्रीकृष्‍ण के ही प्रवचन हैं।
 
4. क्यों माना जाता पूर्णावतार : 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्‍वरतुल्य होता है या कहें कि स्वयं ईश्वर ही होता है। पत्‍थर और पेड़ 1 से 2 कला के प्राणी हैं। पशु और पक्षी में 2 से 4 कलाएं होती हैं। साधारण मानव में 5 कला और स्कृति युक्त समाज वाले मानव में 6 कला होती है। इसी प्रकार विशिष्ठ पुरुष में 7 और ऋषियों या महापुरुषों में 8 कला होती है। 9 कलाओं से युक्त सप्तर्षिगण, मनु, देवता, प्रजापति, लोकपाल आदि होते हैं। इसके बाद 10 और 10 से अधिक कलाओं की अभिव्यक्ति केवल भगवान के अवतारों में ही अभिव्यक्त होती है। जैसे वराह, नृसिंह, कूर्म, मत्स्य और वामन अवतार। उनको आवेशावतार भी कहते हैं। उनमें प्राय: 10 से 11 कलाओं का आविर्भाव होता है। परशुराम को भी भगवान का आवेशावतार कहा गया है। भगवान राम 12 कलाओं से तो भगवान श्रीकृष्ण सभी 16 कलाओं से युक्त हैं। यह चेतना का सर्वोच्च स्तर होता है। इसीलिए प्रभु श्रीकृष्‍ण जग के नाथ जगन्नाथ और जग के गुरु जगदगुरु कहलाते हैं।
 
5. गोपियों को दिया ज्ञान : कहते हैं कि श्रीकृष्‍ण के माध्मम से हजारों गोपियों ने ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष की प्राप्ती की। वृंदावन में ऐसी भी गोपियां थीं जो पिछले जन्म में ऋषि थे। उन्होंने श्रीकृष्‍ण से भक्तियोग सीखने के लिए ही गोपी रूप में जन्म लिया था। 
 
6. सभी तरह का‍ दिया ज्ञान : श्रीकृष्‍ण ने संसार को सभी तरह का ज्ञान दिया। उन्होंने कर्मयोग, ज्ञानयोग, तंत्रयोग के साथ ही भक्ति योग की शिक्षा भी दी। उन्होंने संसार में जीवन और संन्यास में धर्म की शिक्षा भी दी।
 
7. सखा भी और गुरु भी : श्रीकृष्‍ण अपने भक्तों के सखा भी और गुरु भी हैं। वे सखा बनकर गुर ज्ञान देते हैं। उनके हजारों सखाओं की कहानियों को जानने से यह भेद खुल जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति

जानिए क्या है एकलिंगजी मंदिर का इतिहास, महाराणा प्रताप के आराध्य देवता हैं श्री एकलिंगजी महाराज

Saturn dhaiya 2025 वर्ष 2025 में किस राशि पर रहेगी शनि की ढय्या और कौन होगा इससे मुक्त

Yearly Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों का संपूर्ण भविष्‍यफल, जानें एक क्लिक पर

Family Life rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की गृहस्थी का हाल, जानिए उपाय के साथ

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए प्रसन्नता भरा रहेगा दिन, पढ़ें 30 नवंबर का राशिफल

30 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

30 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

मेष राशि पर 2025 में लगेगी साढ़ेसाती, 30 साल के बाद होगा सबसे बड़ा बदलाव

property muhurat 2025: वर्ष 2025 में संपत्ति क्रय और विक्रय के शुभ मुहूर्त

अगला लेख