हरिद्वार के कुशावर्त घाट पर स्नान करने से मिलती है पितरों को शांति

अनिरुद्ध जोशी
उत्तराखंड प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि बद्रीनाथ का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी विश्वप्रसिद्ध घाट पर कुंभ का मेला लगता है और यहीं पर विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती है। आओ जानते हैं हरिद्वार के घाटों के नाम और कुशावर्त घाट के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
1. हरिद्वार में हर की पौड़ी ही प्रमुख घाट है जहां पर अमृत कुंभ का जल गिरा था। यहीं पर भगवान विष्णु के पद चिन्ह भी हैं। इस घाट क्षेत्र को ब्रह्मकुंड भी कहा जाता है।
 
2. इसके अलावा यहां पर मालवीय घाट, नाईसोता घाट, जनाना घाट, सुभाष घाट, गऊ घाट, विष्णु घाट, कुशावर्त घाट, नारायणी स्रोत, राम घाट, त्रिवेणी घाट, बिरला घाट आदि कई घाट हैं जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं। 
 
3. कुशावर्त घाट : कुशावर्त घाट को भगवान दत्तात्रेय की समाधि स्थली कहा जाता है। कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडवों और श्रीराम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। इसीलिए यहां पर स्नान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

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