इन तकनीकों से दर्द के प्रति सोच व प्रतिक्रिया में निश्चित रूप से एक सकारात्मक बदलाव आता है और इसकी तीव्रता कम होती है।
कल्पनाशीलता का उपयोग करें कल्पनाशीलता के सावधानीपूर्वक उपयोग से व्यक्ति में कई फायदेमंद शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक परिवर्तन लाए जा सकते हैं। इसमें व्यक्ति को ऐसे स्थान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाता है, जहां दर्द न हो यानी दर्द से ध्यान हटाकर कहीं और लगाने की कोशिश की जाती है।
सोचने का तरीका बदलें किसी खास स्थिति को लेकर आपके सोचने और रिएक्ट करने का ढंग आपके लिए उस स्थिति को बेहतर या बदतर बनाता है। यदि आप सोचेंगे कि मैं दर्द से बेहाल हूं, मेरा दर्द लगातार बढ़ता जा रहा है तो दर्द भी आपको पूरे दम-खम के साथ सालता रहता है। इसके विपरीत यदि आप सोचें कि गहरी-गहरी सांसे लेने से मेरा दर्द कम होगा और गहरी सांसें लेने लगें तो धीरे-धीरे दर्द के अहसास और तीव्रता में निश्चित तौर पर कमी आएगी।
वैज्ञानिक अनुसंधानों ने भी इस बात को साबित किया है कि यदि आप अपने मस्तिष्क को दर्द के प्रति अलग ढंग से प्रतिक्रिया करने की ट्रेनिंग देते हैं और सकारात्मक सोच विकसित करते हैं तो दर्द के प्रभाव निश्चित रूप से घट जाते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि केवल 9 घंटे मस्तिष्क की इस प्रकार की ट्रेनिंग (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी) से पुराने पीठ दर्द और अकड़न में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
सम्मोहन चिकित्सा कभी-कभी सम्मोहन चिकित्सा का इस्तेमाल दर्द से ध्यान हटाने के लिए भी किया जाता है। व्यक्ति को सम्मोहन की अवस्था में लाकर उसे सकारात्मक सुझाव दिए जाते हैं। दर्द से निपटने के तरीकों को उसकी मनोचेतना में डाला जाता है ताकि सम्मोहन से बाहर आकर भी व्यक्ति दर्द के प्रभाव को कम महसूस करे।
ध्यान व योग द्वारा भी दर्द से ध्यान हटाया जा सकता है। स्वयं को सुझाव देना (ऑटो सजेशन थेरेपी) भी कारगर होती है।
अन्य उपाय.... अगले पेज पर
- अपने दर्द को किसी ऐसी मशीन पर केंद्रित करने की कोशिश करें जिसे आप नियंत्रित कर सकते हों। अब आप उस मशीन की गति को कम करने की कल्पना करें। इससे दर्द की अनुभूति कम हो जाएगी।
- वर्ग पहेली, सुडोकू जैसे ध्यान बंटाने वाले खेल खेलें।
- कोई रोचक किताब पढ़ें।
- अपने परिवार व मित्रों के साथ समय बिताएं। इससे आपका ध्यान दर्द से हट जाएगा।
हो सकता है कि शुरुआत में ये उपाय करना मुश्किल लगें या ऐसा लगे कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन हार न मानें। कभी-कभी दर्द से ध्यान हटाना मुश्किल हो जाता है और अगर आप इस बारे में सोचना बंद ही नहीं करेंगे तो कोई उपाय या तकनीक काम नहीं कर पाएगी।