क्या सिर्फ आयुर्वेद बचा सकता है अस्थमा से.... जरूर पढ़ें

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अस्थमा और एलर्जी पीड़ितों के लिए बदलता मौसम बड़ा खतरनाक होता है। क्योंकि बारिश के बाद जो धूल उड़ती है उससे बारिश के कीटाणुओं को फैलने-पनपने का मौका मिल जाता है। यूं भी वातावरणीय कारकों से फैल रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं। कुछ आयुर्वेदिक औषधियां इसमें काफी राहत देती हैं।


 
क्या होता है अस्थमा 
श्वास नलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने, नलियों की पेशियों के सख्त हो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे ही अस्थमा कहते हैं। अस्थमा किसी भी उम्र में यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी हो सकता है। 

विस्तृत जानकारी अगले पेज पर : 

अस्थमा : यह हैं लक्षण 
-बार-बार होने वाली खांसी
-सांस लेते समय सीटी की आवाज
-छाती में जकड़न
-दम फूलना
-खांसी के साथ कफ न निकल पाना
-बेचैनी होना
बचाव ही सर्वोत्तम उपाय 
धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें।
 
ताजा पेन्ट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की कॉइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें।
 
रंगयुक्त व फ्लेवर, एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
 
अगले पेज पर : अस्थमा में कारगर जड़ी-बूटियां 

अस्थमा में कारगर जड़ी-बूटियां 
 
वासा- यह सिकुड़ी हुई श्वसन नलियों को चौड़ा करने का काम करती है। 
 
कंटकारी- यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपचिपे पदार्थों को साफ करने का काम करती है। 
 
पुष्करमूल- एंटीहिस्टामिन की तरह काम करने के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि।
 
यष्टिमधु- यह भी गले को साफ करने का काम करती है। 
अस्थमा में प्रचलित आयुर्वेदिक औषधियां 
कंटकारी अवलेह
वासावलेह
सितोपलादि चूर्ण
कनकासव
अगत्स्यहरीतिकी अवलेह


नोट : किसी भी औषधि के प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें। 
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