कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है। हालांकि अगस्त माह में कोरोना केस में काफी अधिक गिरावट दर्ज की गई। वहीं कोरोना की तीसरी लहर को लेकर कुछ भी निश्चित नहीं लग रहा है। तीसरी लहर को लेकर अलग - अलग शोध, अध्ययन और वैज्ञानिकों के तर्क सामने आ रहे हैं। आमतौर पर कहा जा रहा है कि अगर कोविड का नया वेरिएंट आता है तो तीसरी लहर आ सकता है। प्रमुख रूप से डेल्टा वेरिएंट ही सबकुछ है। अगर वह म्यूटेट होता है तो तीसरी लहर खतरनाक हो सकती है लेकिन दूसरी लहर जीतनी नहीं। क्योंकि कुछ राज्य ऐसे हैं जो हर्ड इम्युनिटी के करीब पहुंच गए है। लेकिन मुंबई, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में कोविड के केस लगातार मिल रहे हैं। लेकिन कोरोना काल में संक्रमण और इससे उत्पन्न होने वाली स्थितियों के कारण मानसिक तौर पर गहरा असर पड़ा है। मानसिक बीमारियों से जुझ रहे लोगों के दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐेसे लोगों की जान को आधिक खतरा है।
जल्द से जल्द वैक्सीनेशन की अपील
कोरोना की वजह से मानसिक तौर पर कमजोर हो चुके लोगों को तीसरी लहर के दौरान तैयार होने की जरूरत है। यूरोपियन कॉलेज ऑफ न्यरोसाइकियाट्री नेटवर्क द्वारा एक अध्ययन किया है। उस अध्यय के माध्यम से स्वास्थ्य संगठन को चेताया गया है कि मानसिक और बौद्धिक रूप से ग्रसित लोगों का जल्द से जल्द वैक्सीनेशन कराया जाएं। ताकि वे लोग कोरोना की चपेट में आने से बच सकें। मानसिक रूप से नाजुक लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है।
मानसिक रोगों से पीडि़त लोगों को खतरा अधिक - अध्ययन
लैंसेट साइकियाट्री के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने करीब 22 देशों से 33 अध्ययनों से डेटा इकट्ठा किया। यह अध्ययन कोरोना से संक्रमित 14,69,731 लोगों पर किया गया। जिसमें से 43,938 मरीज मानसिक रूप से पीडि़त थे। अध्ययन में सामने आया कि एंटीसाइकोटिक्स की दवाओं का सेवन करने वाले मरीजों में कोविड के कारण डेथ रेट बढ़ सकता है।
जल्द हो टिकाकरण
बेल्जियम स्थित यूनिवर्सिटी साइकियाट्रकि हॉस्पिटल कैंपस और प्रमुख लेखक डॉ लिविया डी पिकर के अनुसार, पिछले कुछ सालो में मानसिक रोगों के शिकार लोगों की संख्या पिछले एक साल में काफी बढ़ी है। ऐसे में मानसिक रूप से पीडि़तों को जल्द से जल्द वैक्सीनेशन करना होगा। सही समय पर नहीं करने से आने वाले वक्त में अस्पतालों पर दबाव पड़ सकता है।
अध्ययन में निष्कर्ष में यह बात सामने आ रही है कि मानसिक रूप से पीडि़त लोगों को दी जाने वाली दवा से जोखिम बढ़ सकता है। वहीं दूसरी ओर लगातार नींद की कमी, भूख नहीं लगना, अकेलापन महसूस होना, शराब और तंबाकू का सेवन करना, कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। इसे लेकर सतर्क रहने के साथ कोविड के नियमों का पालन करना जरूरी है।