भीषण गर्मी : पारा 40 डिग्री पार, Expert से जानें कैसे बचें जानलेवा Heatwave से

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देश के कई राज्‍यों में भीषण गर्मी पड़ने लगी है। वहीं कई राज्‍यों में लू के आसार जताए जा रहे हैं। गर्मी का तापमान इतना तेज हो गया है कि सुबह से ही गर्मी का एहसास होने लगता है। उत्‍तर पश्चिम की ओर से गर्म हवा शुरू हो गई है। वहीं सूरज भी अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। मप्र, राजस्थान बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल के कई शहरों में पारा 45 डिग्री से उपर जा रहा है। जिसे देखते हुए लू से सावधानी बरतने की अपील की है। हीट वेव आखिर क्‍या होती है?कैसे लगती है, इससे बचाव के उपायों पर चर्चा की डॉ. प्रीति शुक्ला से -

- हीट वेव  क्‍या होता है?

जब बाहरी तापमान 40 डिग्री से अधिक हो जाता और फिर 45 डिग्री या उससे ऊपर गरम प्रदेशों में टच करने लगता है तो उसे हीट वेव कहते हैं। बॉडी का एक प्रोसेस होता है जिसे थर्मल रेग्‍युलेशन कहते हैं। हमारी बॉडी थर्मो रेग्‍युलेशन अपने आप से करती है। जिसमें पानी की प्यास लगना, पसीना आना ये आम लक्षण होते हैं। हमारी बॉडी खुद ही अपना टेम्प्रेचर मेंटेन करना जानती है।

डिहाइड्रेशन से कैसे बचें

वॉटर लॉस होना मतलब डिहाइड्रेशन होना। दस्त लगना, पानी की कमी होना। ऐसे में थर्मल रेग्‍युलेटरी गड़बड़ा जाता है। जिससे हीट स्‍ट्रोक हो सकता है। वहीं जब बॉडी में पानी की कमी होती है तो वाटर रेप्‍लेनेश मेंट करना चाहिए। हीट वेव बढ़ने पर घरों में ही रहना चाहिए। अगर बाहर जाने का काम होता है तो पानी, नारियल पानी, नींबू पानी, कैरी का पणा गन्ने का रस ऐसे लिक्विड इन सभी को पीते रहे जिससे डिहाइड्रेशन नहीं होगा।

जब डिहाइड्रेशन होता है तो हीट स्‍ट्रोक होता है। हीट स्‍ट्रोक यानी जब बॉडी का तापमान 103 फारेनहाइट से ऊपर चला जाता है और बॉडी अपना थर्मल रेग्‍युलेटरी प्रोसेस जो है उसे मेंटेन करना बंद कर देती है और अंदर का तापमान बढ़ जाता है। ये एक मेडिकल इमरजेंसी होती है जिसमें हमें डॉक्टरी परामर्श की जरूरत पड़ती है। तो कभी अस्पताल में एडमीट भी होना पड़ता है। तो इस तरह हीट वेव के दौरान खान-पान का ख्‍याल रखें।

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