यह माहवारी के समय मुश्किलें खड़ी कर देते हैं। अगर गर्भ में भ्रूण हो तो यह ट्यूमर एक तरह से उसकी जगह को भी घेर लेते हैं। इससे गर्भपात या प्रिटर्म बर्थ होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि डिलीवरी ऑपरेशन से ही होगी। इस्ट्रोजन एक तरह से इसका भोजन है।
* जो युवतियां गर्भवती होना चाहती हैं उनमें फाइब्राइड्स के साइज को कम करने के लिए हारमोंस के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
* अन्य महिलाओं में सर्जरी से फाइब्राइड्स या पूरा यूटरस निकाल सकते हैं।
* अब ऐसे नए इलाज आ गए हैं जिनमें यूटरस के साथ छेड़छाड़ किए बिना फाइब्राइड्स को निकाला जा सकता है।
* इन ट्रीटमेंट में मयोलाएसिस(लेजर रिमूवल), मयोमेक्टामी(सर्जिकल रिमूवल), यूटराइन ऑर्टरी एंबोलाइजेशन (नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट-फोम का इंजेक्शन धमनियों में दिया जाता है और फाइब्राइड्स में होने वाली ब्लड सप्लाई को काट दिया जाता है) शामिल है।
बिना सर्जरी वाले ट्रीटमेंट में रेडियो फ्रीक्वेंसी एब्लेशन में हीय एनर्जी का इस्तेमाल करके ट्यूमर को नष्ट कर देते हैं। दूसरे ट्रीटमेंट में एमआरआई की मदद से अल्ट्रासाउंड सर्जरी की जाती है जो फाइब्राइड्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देती है।