गर्भ संस्कार से सुंदर और तेजस्वी संतान पाएं, बहुत खास है यह जानकारी

Webdunia
- डॉ. जेम्स निकोलस
 
 प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति में मनुष्य के लिए जन्म से मृत्यु तक सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इनमें गर्भ संस्कार भी एक प्रमुख संस्कार माना गया है। चिकित्सा विज्ञान यह स्वीकार कर चुका है कि गर्भस्थ शिशु किसी चैतन्य जीव की तरह व्यवहार करता है तथा वह सुनता और ग्रहण भी करता है। माता के गर्भ में आने के बाद से गर्भस्थ शिशु को संस्कारित किया जा सकता है तथा दिव्य संतान की प्राप्ति की जा सकती है।
 
महाभारत काल में अर्जुन द्वारा अपनी पुत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह की जानकारी देने और अभिमन्यु द्वारा उसे ग्रहण करके सीखने की पौराणिक कथा मात्र एक उदाहरण है जिससे गर्भस्थ शिशु के सीखने की बात प्रामाणिक साबित होती है। सभी धर्मों में यह बात किसी न किसी रूप में कही गई है। जैन धर्म में गर्भस्थ भगवान महावीर के गर्भस्थ जीवन के बारे में आचार्य भद्रबाहू स्वामीजी ने कल्पसूत्र नामक ग्रंथ में वर्णन किया है। 
 
बाइबल में गर्भस्थ मरियम और उनकी सहेली अलीशिबा दोनों के बीच संवाद हुआ है वह गर्भस्थ शिशु के संवेदनशील स्थिति की ओर संकेत करता है। अलीशीबा मरियम से कहती है कि आपके गर्भ में दिव्य भगवान के अस्तित्व को महसूस करके मेरे गर्भ का शिशु आनंद से उछल रहा है। पौराणिक कथाओं में भक्त प्रहलाद जब गर्भ में थे तब उनकी मां को घर से निकाल दिया गया था। उस समय देवर्षि नारद मिले और अपने आश्रम में शरण दी। वहां नारायण-नारायण का अखंड जाप चल रहा था।
 
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध कर चुका है कि गर्भस्थ शिशु माता के माध्यम से सुन-समझ सकता है तथा ताउम्र उसे याद रख सकता है। इसे सिद्ध करने के लिए एक उदाहरण ही काफी है कि यदि सोनोग्राफी करते समय गर्भवती को सुई चुभोई जाए तो गर्भस्थ शिशु तड़प जाता है तथा रोने लगता है। इसे सोनोग्राफी के नतीजों में देखा जा सकता है।
 
कैसे पाएं दिव्य संतानें
मातृत्व एक वरदान है तथा प्रत्येक गर्भवती एक तेजस्वी शिशु को जन्म देकर अपना जन्म सार्थक कर सकती है। दुर्भाग्यवश इस संवेदनशील स्थिति को गर्भवती महिलाएँ कुटुंब और समाज सभी नजरअंदाज कर रहे हैं। गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क का विकास गर्भवती की भावनाएं, विचार, आहार एवं वातावरण पर निर्भर होता है। 
 
डॉ.अरनाल्ड शिबेल (न्यूरोलॉजिस्ट) कहते हैं कि यदि गर्भवती आधे घंटे तक क्रोध या विलाप कर रही हो तो उस दरमियान गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास रुक जाता है जिसका नतीजा गर्भस्थ शिशु कम बौद्धिक क्षमता के साथ जन्म लेता है। यह महत्वपूर्ण बात हम जानते ही नहीं हैं। गर्भस्थ शिशु का मस्तिष्क न्यूरोन सेल्स से बना होता है। यदि मस्तिष्क में न्यूरोन सेल्स की मात्रा अधिक है तो स्वाभाविक रूप से शिशु के बौद्धिक कार्यकलाप अन्य शिशुओं की अपेक्षा बेहतर होते हैं। 
 
आज की कम्प्यूटर भाषा में कहा जाए तो मस्तिष्क को हम हार्ड डिस्क कह सकते हैं। यह हाई डिस्क गर्भवती के मस्तिष्क से जुड़ी होती है। फलस्वरूप गर्भवती के विचार, भावनाएं, जीवन की ओर देखने का दृष्टिकोण, तर्क आदि गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क में संग्रहीत होता जाता है। परिणामतः जब वह इस जगत में आता है तो अपना एक अनूठा व्यक्तित्व लेकर आता है। इसी के कारण आनुवांशिकत रूप से एक होते हुए भी दो भाइयों में भिन्नता दिखाई देती है क्योंकि प्रत्येक गर्भावस्था के दरमियान गर्भवती की मनोदशा भिन्न होती है। आज गर्भवती अपने गर्भस्थ शिशु को संस्कार देकर तेजस्वी संतान प्राप्त कर सकती है। 
 
गर्भसंस्कार का अर्थ है गर्भधारणा से लेकर प्रसूति तक के 280 दिनों में घटने वाली हर घटना, गर्भवती के विचार, उसकी मनोदशा, गर्भस्थ शिशु से उसका संवाद, सुख, दुःख, डर, संघर्ष, विलाप, भोजन, दवाएं, ज्ञान, अज्ञान तथा धर्म और अधर्म जैसे सभी विचार आने वाले शिशु की मानसिकता पर छाए रहते हैं। अमेरिका के एक अन्य वैज्ञानिक चिकित्सक डॉ. पीटर नाथांजिल अपने अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गर्भावस्था के दौरान आहार में परिवर्तन, आहार की कमी, गलत आहार से गर्भस्थ शिशु को कई बीमारियां मिल जाती हैं। शिशु के भावी जीवन में स्वास्थ्य संबंधी क्या तकलीफें हो सकती हैं उसकी नींव गर्भावस्था के दौरान ही पड़ जाती है। 
 
क्या करें 
गर्भस्थ शिशु का मस्तिष्क अपनी माता के मस्तिष्क से जुड़ा होता है इसलिए उसके साथ स्वथ्य विचारों के साथ संवाद स्थापित करें। गर्भकाल में हमेशा अच्छे विचार ही अपने मन में ध्यान करें। 
 
भले ही गर्भस्थ शिशु को भाषा का ज्ञान नहीं होता लेकिन वह माता के मस्तिष्क में आने वाली हर जानकारी का अर्थ ग्रहण कर सकता है। इसलिए गर्भ के शिशु के साथ अर्थपूर्ण बातें करें। 
 
गर्भ के दौरान आदर्श संतुलित आहार ग्रहण करें ताकि उसके मस्तिष्क का अच्छा विकास हो सके। उसके मस्तिष्क में ज्यादा जानकारियां इकट्ठा हो सकें, स्मरण शक्ति तीक्ष्ण हो सके तथा त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हो। गर्भसंस्कार सही अर्थों में गर्भस्थ शिशु के साथ माता का स्वस्थ संवाद है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

Style Secrets : स्मार्ट फॉर्मल लुक को पूरा करने के लिए सॉक्स पहनने का ये सही तरीका जान लें, नहीं होंगे सबके सामने शर्मिंदा

लाल चींटी काटे तो ये करें, मिलेगी तुरंत राहत

बिना महंगे प्रोडक्ट्स के टैन को करें दूर, घर पर बनाएं ये नेचुरल DIY फेस पैक

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

सभी देखें

नवीनतम

सी-सेक्शन के बाद फास्ट रिकवरी में मिलेगी मदद, इन चीजों को करें डाइट में शामिल

Childrens Day 2024: क्यों मनाते हैं हर साल 14 नवंबर को 'बाल दिवस'

अगर आप भी बच्चे के बढ़ते वज़न से हैं परेशान तो हो जाइये सावधान, इन बीमारियों का हो सकता है खतरा

Childrens Day 2024 Essay: बाल दिवस पर रोचक निबंध

हर दिन होती है वेजाइना में खुजली? इन 3 असरदार घरेलू उपायों से पाएं राहत

अगला लेख