जानिए 2015 की 7 बड़ी सेहत समस्याएं

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2015 में यह 7 तरह के रोग बने कष्ट का कारण 
स्वास्थ्य है तो स्वास्थ्य समस्याएं भी होंगी ही। लेकिन वर्तमान में जीवनशैली की सुविधाएं जितनी तेजी से बढ़ी हैं, उतनी ही तेजी से समस्याएं भी उभरती रही हैं। छोटी-छोटी स्वास्थ्य समस्याओं से शुरू होते हुए, वर्तमान में भी समस्याएं तो वहीं है, लेकिन उनका स्वरूप और प्रकार जरूर बदल गया है। जिनका कभी अस्तित्व ही नहीं था, पिछले कुछ सालों में उनका अस्तित्व उभरकर सामने आया है, और वे देश की सबसे गंभीर समस्याओं के रूप में उभरी हैं। यौन रोग और मानसिक समस्याएं इनमें प्रमुख हैं।
 
लिब्रैट हेल्थस्कैप इंडिया 2015 की रिपोर्ट में यौन रोग और मानसिक रोग का प्रतिशत सबसे अधि‍क है। इसके अलावा लिब्रैट हेल्थस्केप द्वारा 5 अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी साल 2015 की सूची में शामिल किया है, जो इस वर्ष की सबसे गंभीर समस्याएं रहीं। जानिए स्वास्थ्य की इन 7 गंभीर समस्याओं को -

1 यौन रोग - देश की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल यौन रोग, खास तौर से युवा पीढ़ी को अपनी चपेट में ले रहे हैं। देश की कुल जनसंख्या का 32 प्रतिशत, यौन रोगों से ग्रसित है।


असुरक्षि‍त यौन सबंध या हार्मोन के असंतुलन के कारण होने वाले इन रोगों से बचने के लिए इनके प्रति सतर्क और जागरूक रहना ही एक बेहतर विकल्प है। इनकी पूरी जानकारी होने के साथ-साथ आवश्यक सावधानियां आपको यौन रोगी बनने से बचा सकती है।

2 मानसिक रोग - तकनीकी जीवनशैली ने सुविधाओं के साथ-साथ तनाव में भी वृद्धि की है, और मानसिक सुकून चुरा लिया है। ऐसे में मानसिक रोगों ने देश की कुल जनसंख्या के 21 प्रतिशत हिस्से को अपनी चपेट में ले रखा है।


मानसिक समस्याओं से बचने के लिए तनाव को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा खुश रहना, मानसिक शांति के लिए योगा, मेडिटेशन करना सबसे बेहतर तरीका है, जिसे पूरी दुनिया में लोग अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना रहे हैं।

3 जीवनशैली संबंधी - बदलते वक्त और बदलती जीवनशैली के साथ-साथ आपकी दिनचर्या में भी परिवर्तन आया है। लेकिन यह जरूरी नहीं, कि हर परिवर्तन सकारात्मक ही हो।


मशीनी युग में मशीन की तरह जीवनशैली अपनाकर आप अपने शरीर के लिए कई बार विपरीत परिस्थि‍तियां पैदा कर लेते हैं, जिसका असर आपके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। फलस्वरूप गंभीर समस्याएं पैदा हो जाती है।

4 आहार एवं पोषण संबंधी - आहार और उससे मिलने वाला पोषण आपके शरीर के संचालन के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी होता है। सही मात्रा और सही तरीके से आहार न लेना या फिर शरीर की आवश्यकता अनुसार पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं होना, अस्वस्थता का बहुत बड़ा कारण होता है।


जरूरी पोषण की कमी से बीमारियां जन्म लेती हैं। इसलिए हर किसी को शरीर की आवश्यकता के अनुसार, सही मात्रा में, उचित पोषणयुक्त आहार लेना चाहिए।

5 स्त्री रोग - स्त्री रोगों की संख्या में लगातार होता इजाफा, देश में स्त्रि‍यों की गिरती सेहत दर्शाता है। देश की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में 11 प्रतिशत स्त्री रोग हैं।इसका प्रमुख कारण महिलाओं का स्वास्थ्य के प्रति जागरूक न होना और आवश्यक पोषण की आपूर्ति न होना है।


पिछले कुछ सालों में महिलाओं की जीवनशैली, दिनचर्या और तरीकों में भी परिवर्तन आया है, यह स्थिति हार्मोन असंतुलन को जन्म देती है। इसे भी स्त्रीरोगों के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।

6 चर्म रोग - पर्यावरण परिवर्तन, कार्बन उत्सर्जन, अस्वच्छता, खानपान, जीवनशैली में परिवर्तन के अलावा अन्य कारणों से त्वचा रोगों में बढ़ोतरी हुई है। इससे बचने के लिए साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


बचाव और सावधानियां बरतना बेहद जरूरी है। इसके अलावा किसी भी प्रकार के संक्रमण या फिर समस्या होने पर बगैर लापरवाही किए चि‍कित्सक से परामर्श जरूरी है।

7 शि‍शु रोग - पोषण की कमी, लापरवाही,उचित देखभाल न होने के अलावा भी कुछ कारण शि‍शु रोगों के लिए जिम्मेदार हैं। कई बार गर्भ में ही शि‍शु गंभीर रोगों का शि‍कार हो जाता है।

हर पालक का शि‍शु के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना और उचित देखभाल करना इनसे बचने के लिए पहला कदम होगा।

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