हार्ट हेल्थ से जुड़े ये 5 आम मिथक अभी जान लें, वरना पछताएंगे

WD Feature Desk
मंगलवार, 17 जून 2025 (18:01 IST)
common misconceptions about heart health: आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में दिल की सेहत को लेकर जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन उसके साथ ही कुछ ऐसी गलतफहमियां भी लोगों के बीच घर कर चुकी हैं, जो न सिर्फ भ्रम पैदा करती हैं, बल्कि कई बार हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियों की अनदेखी का कारण बन जाती हैं। सोशल मीडिया, इंटरनेट और अधूरी जानकारी के चलते लोगों के बीच हार्ट हेल्थ को लेकर कई मिथक प्रचलित हो गए हैं। ऐसे में यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि हम इन गलतफहमियों की तह तक जाएं और सही जानकारी के साथ अपने दिल को सच में स्वस्थ रखने के कदम उठाएं।
 
1. “अगर कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल है, तो दिल की कोई चिंता नहीं”
यह सबसे आम और खतरनाक भ्रांति है। भले ही आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल नॉर्मल हो, फिर भी हार्ट डिजीज के कई अन्य फैक्टर होते हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, स्ट्रेस, मोटापा और पारिवारिक इतिहास। सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करना ही काफी नहीं होता, बल्कि एक समग्र हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना ज़रूरी है।
 
2. “महिलाओं को हार्ट अटैक नहीं होता”
कई लोग अब भी यह मानते हैं कि दिल की बीमारियां सिर्फ पुरुषों की ही समस्या हैं। जबकि हकीकत यह है कि हार्ट अटैक महिलाओं में भी होता है और कई बार इसके लक्षण भी अलग होते हैं, जैसे थकान, सांस फूलना या बेचैनी। महिलाओं को भी अपने हृदय स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए।
 
3. “दिल का दौरा हमेशा छाती में तेज दर्द से होता है”
यह अधूरी जानकारी कई बार जानलेवा साबित हो सकती है। हार्ट अटैक के लक्षण हमेशा फिल्मी स्टाइल में छाती पकड़कर गिरने जैसे नहीं होते। कभी-कभी जबड़े, पीठ, कंधे में दर्द, पसीना, उल्टी जैसा एहसास या असामान्य थकान भी संकेत हो सकते हैं। इसलिए इन संकेतों को हल्के में न लें।
 
4. “मैं फिट हूं, इसलिए मुझे हार्ट डिजीज नहीं हो सकती”
फिटनेस ज़रूरी है लेकिन यह हार्ट अटैक के ख़तरे को पूरी तरह खत्म नहीं करता। अगर आपकी लाइफस्टाइल में स्ट्रेस ज्यादा है, आप स्मोकिंग या अल्कोहल का सेवन करते हैं, या आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो आपको भी रिस्क हो सकता है। नियमित जांच और बैलेंस्ड लाइफ जरूरी है।
 
5. “दवा शुरू कर दी है तो अब सब ठीक हो गया”
लोग सोचते हैं कि एक बार दवा लेना शुरू कर दिया तो अब दिल की बीमारी कंट्रोल में है। जबकि सच्चाई ये है कि दवा के साथ-साथ डाइट, एक्सरसाइज़, नींद और स्ट्रेस मैनेजमेंट भी उतने ही ज़रूरी हैं। सिर्फ मेडिसिन पर निर्भर रहना कई बार हार्ट हेल्थ को कमजोर कर सकता है। 


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